4 दिनों में 400 से अधिक कार्यकर्ताओं ने ‘हाथ’ छोड़ा (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Congress crisis Nagpur: निकाय चुनावों की सरगर्मी के बीच राजनीतिक दलों में नेताओं और कार्यकर्ताओं का आवागमन तेज हो गया है, लेकिन सबसे अधिक अफरा-तफरी कांग्रेस में देखने को मिल रही है। बीते चार दिनों में जिले की विभिन्न तहसीलों से 400 से अधिक पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने ‘हाथ’ का साथ छोड़ दिया है।
चुनाव के दौरान टिकट नहीं मिलने से नाराजगी होना सामान्य माना जाता है, लेकिन इस बार कांग्रेस में असंतोष का कारण जिले के एक वरिष्ठ नेता द्वारा लिए गए मनमाने निर्णय बताए जा रहे हैं। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि उन्हें न तो सुना जा रहा है और न ही उनकी शिकायतों पर ध्यान दिया जा रहा है।
नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों के ठीक पहले हुए इस घटनाक्रम से कांग्रेस की स्थिति कमजोर होती दिखाई दे रही है।
लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान भी ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी के कई बड़े पदाधिकारी पाला बदल चुके हैं। उस समय भी इसी वरिष्ठ नेता पर भेदभाव, पक्षपात और तानाशाहीपूर्ण रवैये के आरोप लगाए गए थे। असंतुष्ट पदाधिकारियों ने प्रदेश अध्यक्ष से शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने से नाराजगी और बढ़ गई है। चर्चा है कि अब और भी कई कार्यकर्ता पार्टी छोड़ सकते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे मजबूत पार्टी मानी जाने के बावजूद कांग्रेस ने चार जगहों पर अपने उम्मीदवार खड़े नहीं किए। दो सीटों पर गठबंधन किया गया,दो सीटों पर उम्मीदवार ही नहीं दिया गया।कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह निर्णय एकतरफा तरीके से लिया गया और इससे कांग्रेस का चुनाव चिन्ह ‘पंजा’ प्रभावहीन हो गया। नगर अध्यक्ष पद, नगरसेवक पद की उम्मीदवारी और गठबंधन के फैसले बिना चर्चा और सामूहिक सहमति के किए जाने को लेकर असंतोष बढ़ गया है।
सिर्फ वाड़ी में शहर अध्यक्ष शैलेश थोराने और तहसील अध्यक्ष प्रकाश कोकाटे सहित 221 लोगों ने पार्टी छोड़ दी।
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सबसे आश्चर्यजनक यह है कि जिले में चल रहे बड़े पैमाने के असंतोष पर दिग्गज नेताओं ने चुप्पी साध रखी है, जबकि उनमें कई पहले मंत्री भी रह चुके हैं। असंतुष्टों का कहना है कि “प्रदेश अध्यक्ष को सब बताया जा रहा है, लेकिन अब तक कोई ऐक्शन नहीं लिया गया।” प्रदेश अध्यक्ष के हाल ही में नागपुर दौरे के दौरान भी कोई ठोस पहल न होने से असंतोष बढ़ गया है। पार्टी कार्यकर्ताओं को आशंका है कि यदि यह सिलसिला जारी रहा तो आगे होने वाले जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों में कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा।