बढ़ेगी स्पर्धा, सस्ती होगी बिजली (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur News: महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग (एमईआरसी) ने बिजली वितरण का लाइसेंस टॉरेंट पावर लिमिटेड को देने के प्रस्ताव पर एक जनसुनवाई की. उद्योग समूह ने इस लाइसेंस का पूर जोर समर्थन किया है।उनका तर्क है कि जब ओपन इकोनामी में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया जा रहा है, तो बिजली क्षेत्र में ‘मोनोपोलिस्टिक’ एप्रोच क्यों अपया जा रहा है।
मुंबई, पुणे जैसे शहरों में चार-चार लाइंसेस है, जिसका लाभ सीधे तौर पर ग्राहकों को सस्ती बिजली के रूप में मिलता है। सस्ती बिजली मिलने से चाहे घरेलू ग्राहक हो या फिर औद्योगिक सभी खुश रहते हैं।लेकिन विदर्भ में महावितरण का एकाधिकार है और इसे खत्म किया ही जाना चाहिए। उद्योग की यह मांग वर्षों पुरानी है।
उद्योग के प्रतिनिधि आर.बी. गोयनका ने उद्योग संगठनों की ओर से एमएसईडीसीएल के एकाधिकार को तोड़ने की पूरजोर मांग की है। उन्होंने कहा कि एमएसईडीसीएल की सेवा में अक्सर बिजली कटौती होती है और टैरिफ भी बहुत ऊंचे हैं। उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने बताया कि मौजूदा बिजली आपूर्ति विश्वसनीय और निर्बाध नहीं है, जबकि टैरिफ काफी अधिक है। उन्होंने तर्क दिया कि बिजली अधिनियम 2003 की धारा 14 के तहत एक ही क्षेत्र में एक से अधिक वितरण लाइसेंस देना संभव है, जिससे प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा मिलेगी।
टॉरेंट पावर लिमिटेड ने महानगर पालिका (एनएमसी) और आसपास के क्षेत्रों जैसे सिविल लाइंस, कांग्रेस नगर, गांधीबाग, महाल, एमआईडीसी बुटीबोरी, एमआईडीसी हिंगना, मौदा और उमरेड में भूमिगत और ओवरहेड नेटवर्क विकसित करने का वादा किया है। कंपनी ने सभी श्रेणियों के उपभोक्ताओं को विश्वसनीय, निर्बाध और किफायती बिजली की आपूर्ति करने की प्रतिबद्धता जताई है।
जनसुनवाई के दौरान क्रॉस-सब्सिडी और टैरिफ जैसे मुद्दों पर भी बात हुई। गोयनका ने सुझाव दिया कि कमीशन को क्रॉस-सब्सिडी का बोझ उठाने वाले उपभोक्ताओं की पहचान करनी चाहिए और इस समस्या को हल करने के लिए एक उपयुक्त फॉर्मूला बनाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि टॉरेंट पावर का टैरिफ एमएसईडीसीएल के टैरिफ से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, बल्कि यह एमईआरसी के मल्टी ईयर टैरिफ विनियमों के आधार पर तय होना चाहिए।
गोयनका ने तर्क दिया कि अगर टॉरेंट पावर सभी मानदंडों जैसे पूंजी पर्याप्तता और क्रेडिट-योग्यता को पूरा करती है, तो कमीशन को लाइसेंस देने से इनकार नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि तकनीकी और वाणिज्यिक मुद्दे, जो कुछ लोगों द्वारा उठाए गए हैं, लाइसेंस देने के बाद एआरआर और टैरिफ तय करते समय विचार में लाए जा सकते हैं।
विदर्भ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, स्टील मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ महाराष्ट्र, ईस्ट नागपुर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, एमआईडीसी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, बुटीबोरी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन और विदर्भ प्लास्टिक इंडस्ट्रीज एसोसिएशन सहित कई प्रमुख संगठनों ने गोयनका के विचारों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि टॉरेंट पावर को लाइसेंस मिलने से क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा आएगी और उपभोक्ताओं को विश्वसनीय और किफायती बिजली मिल सकेगी।