मनपा में चल रही रिश्वतखोरी और टेंडर घोटाले (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur News: नागपुर महानगर पालिका में भ्रष्टाचार भले ही कोई नई बात न हो किंतु अब न केवल भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है बल्कि कुछ विशेष लोगों को टेंडर दिलाने के लिए खुले आम टेंडर घोटाले होने के आरोप कांग्रेस विधायक एवं शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विकास ठाकरे ने पत्र परिषद में लगाए।
प्रशासन और आयुक्त पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के कई गंभीर आरोप लगाते हुए उन्होंने दावा किया कि आयुक्त स्वयं ठेकेदारों और बड़े व्यापारियों के दबाव में काम कर रहे हैं।
ठाकरे ने आरोप लगाया कि प्रशासक और उनके दल ने कुछ दलालों को नियुक्त किया है जो आवेदकों से इमारत का नक्शा मंजूर कराने और अग्निशमन एनओसी प्राप्त करने के लिए पैसे की मांग करते हैं। उन्होंने दावा किया कि इस बात को साबित करने के लिए उनके पास ऐसे ही एक दलाल का फोन कॉल रिकॉर्डिंग बतौर सबूत मौजूद है।
विधायक ठाकरे ने बताया कि सरकारी आदेशों के अनुसार एनएमसी को 10 लाख रुपये तक के आपातकालीन कार्यों (जैसे नाली मरम्मत, पाइपलाइन बिछाना, ब्लॉक लगाना) के लिए ऑफलाइन निविदाएं निकालने की अनुमति है। हालांकि मनपा आयुक्त ने एक परिपत्रक जारी कर ऑफलाइन निविदाएं बंद कर दी थीं जिससे विशेष रूप से झोपड़पट्टी क्षेत्रों में नागरिक सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
इसके बावजूद प्रशासन ने खुद के बनाए नियम को तोड़ते हुए अगस्त महीने में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 5 ऑफलाइन निविदाएं जारी कीं। ये सभी निविदाएं 8.5 लाख से 10 लाख रुपये की थीं। स्वतंत्रता दिवस एक वार्षिक कार्यक्रम है जिसकी तैयारी पहले से होनी चाहिए। इसके बावजूद एक ही काम को 5 हिस्सों में बांटकर स्वतंत्र निविदाएं निकाली गईं जो प्रशासक द्वारा अपने ही परिपत्रक का उल्लंघन है।
विधायक ने बताया कि सरकार के स्पष्ट दिशानिर्देश हैं कि मनपा आयुक्त को जनप्रतिनिधियों से प्राप्त पत्रों का निर्धारित समयसीमा के भीतर उत्तर देना अनिवार्य है। आयुक्त ने इस नियम का पालन नहीं किया। इसलिए उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष ‘हक्कभंग’ की शिकायत दर्ज कराई है। अध्यक्ष ने इस शिकायत के आधार पर आयुक्त को नोटिस भी जारी किया है।
विकास ठाकरे ने कचरा संकलन करने वाले ऑपरेटरों पर कार्रवाई न होने को लेकर भी आयुक्त पर निशाना साधा। उन्होंने बताया कि 4 साल पहले महानगर पालिका की साधारण सभा ने भ्रष्टाचार और घटिया सेवाओं के कारण एजी एन्वायरो और बीवीजी इंडिया नामक 2 कंपनियों के एग्रीमेंट रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया था।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी नए टेंडर जारी करने का निर्देश दिया था जिसमें एक ऑपरेटर 2 जोन संभाले। बावजूद इसके आयुक्त इन कंपनियों के साथ साठगांठ में हैं और उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। इसका परिणाम यह हुआ कि दिवाली जैसे त्योहार के समय भी पूरे नागपुर में कचरा जमा रहा। यह स्थिति स्पष्ट रूप से आयुक्त और उनके ठेकेदारों के बीच मिलीभगत को दर्शाती है।
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कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि महानगर पालिका ने हॉकिंग ज़ोन विकसित नहीं किए हैं लेकिन पश्चिमी नागपुर विधानसभा क्षेत्र विशेष रूप से सीताबर्डी और जरीपटका के दुकानदारों पर ही कार्रवाई की है। उन्होंने आयुक्त के एक बयान का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने एक प्रतिनिधिमंडल से कहा था कि, “हॉकर्स रहेंगे तो दुकान खरीदने वाले दुकानदार क्या करेंगे?”।
ठाकरे ने कहा कि इस बयान और कार्रवाई से स्पष्ट है कि आयुक्त मॉल मालिकों और बड़े व्यापारियों के दबाव में काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि हॉकर गरीब और मध्यम वर्ग के नागरिकों को सस्ती कीमतों पर वस्तुएं उपलब्ध कराते हैं और सभी नागरिक आयुक्त की तरह मॉल में खरीदारी नहीं कर सकते।
विधायक ठाकरे ने जलापूर्ति ऑपरेटर के खराब प्रदर्शन का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि पिछले आयुक्त ने 3 साल पहले ही इस कंपनी को अनुबंध समाप्त करने का नोटिस दिया था। फिर भी वर्तमान आयुक्त उस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं और न ही दरें कम की गई हैं। यह स्थिति निजी कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचा रही है।
बजाज नगर के पास पीकेवी की जमीन पर बसे काछीपूरा क्षेत्र में नए होटलों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को जोन कार्यालय की ओर से नोटिस जारी किए गए थे। यहां तक कि केंद्रीय मंत्री गडकरी ने यहां पर एक विशाल प्रकल्प बनाने की मंशा भी जताई है किंतु महानगर पालिका के अधिकारियों का आलम यह है कि यहां के व्यापारिक प्रतिष्ठानों को आश्रय दिया जा रहा है। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।