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ब्रह्मोस वैज्ञानिक निशांत जासूसी के आरोपों से बरी, हाई कोर्ट से मिली राहत, होगी तत्काल रिहाई

High Court Verdict: ब्रह्मोस वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। जासूसी और रक्षा रहस्य लीक के आरोपों से बरी कर दिया गया है और जल्द रिहाई होगी। जानिए पूरा मामला।

  • By आंचल लोखंडे
Updated On: Dec 01, 2025 | 09:55 PM

ब्रह्मोस वैज्ञानिक निशांत जासूसी के आरोपों से बरी (सौजन्यः सोशल मीडिया)

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Nishant Agrawal Release News: ब्रह्मोस एयरोस्पेस लिमिटेड के वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल को जासूसी और रक्षा रहस्य लीक करने से जुड़े प्रमुख आरोपों से बरी कर दिया गया है। हाई कोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत लगाए गए गंभीर आरोपों से अग्रवाल को मुक्त कर दिया है।

निशांत को अक्टूबर 2018 में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों को संवेदनशील रक्षा जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। निचली अदालत ने पहले उन्हें आईटी सिस्टम का उपयोग करके देश विरोधी तत्वों को गोपनीय जानकारी पहुंचाने के मामले में 14 वर्ष कैद की सजा सुनाई थी। हालांकि, एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में हाई कोर्ट ने निशांत को इन मुख्य आरोपों से पूरी तरह बरी करते हुए उनकी तत्काल रिहाई का रास्ता साफ कर दिया है।

निजी उपकरण में आधिकारिक दस्तावेज रखने का दोष बरकरार

निशांत पर अपने निजी उपकरणों में आधिकारिक दस्तावेज रखने का एक आरोप अभी भी कायम है। इस दोष के लिए निचली अदालत ने 3 वर्ष की कैद की सजा सुनाई थी। चूंकि अग्रवाल हिरासत में रहते हुए यह अवधि पहले ही पूरी कर चुके हैं, इसलिए उनकी शीघ्र रिहाई की पूरी संभावना है। इस निर्णय के साथ रक्षा रहस्यों के कथित उल्लंघन से जुड़े इस हाई-प्रोफाइल केस में उनकी कानूनी लड़ाई लगभग समाप्त मानी जा रही है। निशांत ब्रह्मोस के तकनीकी अनुसंधान अनुभाग में कार्यरत थे और अक्टूबर 2018 में मिलिट्री इंटेलिजेंस तथा उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र एटीएस के संयुक्त अभियान में गिरफ्तार किए गए थे।

कंप्यूटर से महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद

जांच में निशांत के निजी कंप्यूटर से ब्रह्मोस मिसाइल से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले, जिसे बीएईएल के सुरक्षा मानकों का उल्लंघन माना गया। जांच में यह भी सामने आया कि उन्हें कथित रूप से पाकिस्तानी जासूसों ने ऑनलाइन जाल में फंसाया था। अग्रवाल ने ‘सेजल’ नामक व्यक्ति से LinkedIn पर बातचीत की थी, जिसने खुद को यूके की ‘हेज एविएशन’ में रिक्रूटर बताया था।

ये भी पढ़े: दीक्षाभूमि पुनर्विकास: ‘विकल्प 3’ पर याचिकाकर्ता और स्मारक समिति सहमत, हाई कोर्ट में हलफनामा दायर

चैट रिकॉर्ड्स से पता चला कि ‘सेजल’ एक ऐसे समूह का हिस्सा था जो भारतीय रक्षा कर्मचारियों को भ्रमित कर संवेदनशील जानकारी हासिल करता था। उसके निर्देश पर अग्रवाल ने 2017 में एक लिंक पर क्लिक कर अपने निजी लैपटॉप में 3 ऐप इंस्टॉल किए थे। ये ऐप वास्तव में मालवेयर थे, जिन्होंने लैपटॉप से गोपनीय जानकारी चोरी कर ली थी।

Brahmos scientist nishant agrawal espionage case acquittal high court

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Published On: Dec 01, 2025 | 09:55 PM

Topics:  

  • Bombay High Court
  • Maharashtra

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