स्वतंत्र विदर्भ की मांग को लेकर मस्की दंपति का आंदोलन (फोटो-नवभारत)
नागपुर: बीते कई दशकों से विदर्भ को अलग राज्य बनाने की मांग चल रही है। लेकिन अब तक लोगों की मांग पूरी नहीं हुई। इस बीच स्वतंत्र विदर्भ राज्य की मांग को लेकर राजूरा के मस्की दंपति ने संविधान चौक पर आंदोलन शुरू किया है। उनके इस आंदोलन ने सबका ध्यान आकर्षित किया है। दरअसल, 11 अगस्त से बाबाराव मस्की व शोभा मस्की ने खुद को बेड़ियों में जकड़कर पिंजरे में कैद कर रखा है।
जानकारी के लिए बता दें कि बीते 6 दिनों से चल रहे मस्की दंपति के आंदोलन पर सरकार व प्रशासन की ओर से उनकी कोई दखल तक नहीं ली गई। इसलिए 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के दिन सुबह 10 बजे से शोभा ने पिंजरे में ही आमरण अनशन शुरू कर दिया।
उन्होंने कहा कि मुझे ईश्वर ने कोई संतान नहीं दी लेकिन विदर्भ की ढाई करोड़ जनता मेरे बच्चे हैं। मुझसे विदर्भ की वेदना देखी नहीं जाती। मैं एक मां हूं और मेरे किसान आत्महत्या करें, यह कैसे देख सकती हूं। विदर्भ के युवा पलायन कर रहे हैं। विदर्भ को लूट-लूट कर पश्चिम महाराष्ट्र को सम्पन्न किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक विदर्भ राज्य नहीं मिलता तब तक मेरा आमरण अनशन जारी रहेगा। मेरी जान भी चली गई तो चलेगा लेकिन विदर्भ की जनता को न्याय मिलना चाहिए।
जय विदर्भ पार्टी के हिंगना तहसील अध्यक्ष अभिजीत बोबड़े ने केन्द्र सरकार द्वारा अनाज व कपड़ों पर लगाए गए जीएसटी के विरोध में अर्धनग्न होकर और हाथ-पांव में हथकड़ी-बेड़ी डालकर पिंजरे में कैद कर निषेध जताया। जेवीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरुण केदार ने आंदोलन स्थल पर भेंट देकर कहा कि अंतिम लड़ाई शुरू हो गई है और बीजेपी व कांग्रेस दोनों को विदर्भ से बाहर किये बिना कोई पर्याय नहीं है। उन्होंने अबकी बार विदर्भ की सरकार का नारा देते हुए कहा कि रक्षाबंधन की पूर्व संध्या 18 अगस्त को आंदोलन स्थल पर सामूहिक रक्षाबंधन कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने नागरिकों से बड़ी संख्या में उपस्थिति होने की अपील की।
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विदर्भ आंदोलन को देश जनहित पार्टी के साथ ही विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल सहित अनेक कामगार संगठनों ने समर्थन जाहिर किया। विहिप के विदर्भ प्रांत कार्याध्यक्ष डॉ. मोतीराम चौधरी ने कहा कि फडणवीस व गडकरी ने विदर्भ की जनता को स्वतंत्र राज्य बनाने का लिखित आश्वासन दिया था लेकिन उसे अब तक पूरा नहीं किया। जनता के साथ धोखा किया। लग रहा था कि बड़े कारखाने लाकर युवाओं का पलायन रोका जाएगा, सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराकर किसानों की आत्महत्या रोकी जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
किसी भी पार्टी के नेताओं पर भरोसा न करते हुए इस संघर्ष को जनसंघर्ष बनाना होगा। इस दौरान विष्णुपंत आष्टीकर, मुकेश मासुरकर, गुलाबराव धांडे, सुधा पावडे, तात्यासाहब मते, प्रशांत नखाते, शोभा येवले, भारत बविस्टले, अशोक पाटिल, संगीता अंबारे, यजुवेंद्र सिंह ठाकुर, प्रशांत तागड़े, विट्ठलराव मानेकर, मनीष वासे सहित बड़ी संख्या में विदर्भवादी उपस्थित थे।