अमन मोखाड़े (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Navbharat Exclusive Interview: विदर्भ क्रिकेट को इस सत्र में जिस बल्लेबाज ने सबसे ज्यादा मजबूती और निरंतरता दी है, वह नाम है अमन मोखाड़े। रणजी ट्रॉफी के मौजूदा सत्र में 577 रन बनाकर वह विदर्भ के सबसे सफल बल्लेबाज रहे। वहीं सैयद मुश्ताक अली टी20 ट्रॉफी में भी सबसे ज्यादा 206 रन (3 अर्धशतक) बनाकर उन्होंने खुद को टीम के भरोसेमंद टॉप ऑर्डर बल्लेबाज के रूप में स्थापित कर दिया है।
मोहल्ले में तीसरी कक्षा के दौरान टेनिस बॉल से शुरू हुआ सफर आज रणजी में अपना जलवा बिखेर रहा है। टॉप ऑर्डर में उतरने की जिम्मेदारी को अमन पूरी गंभीरता से निभाते हैं। ‘नवभारत’ ने अमन से बात की और जाना कि वह कैसे अपने प्रदर्शन में निरंतरता बनाकर आगे बढ़ रहे हैं। उनका सबसे बड़ा विश्वास है मानसिक मजबूती। वे कहते हैं ‘खुद को चैम्पियन समझो, नतीजे अपने आप आएंगे।’
मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि टीम के लिए कंट्रीब्यूट कर पा रहा हूं। टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी करना बड़ी जिम्मेदारी है क्योंकि शुरुआत हम करते हैं। अच्छी ओपनिंग पार्टनरशिप से टीम मजबूत स्थिति में पहुंचती है। अभी खुश हूं लेकिन संतुष्ट नहीं क्योंकि रणजी ट्रॉफी के बड़े मुकाबले अभी बाकी हैं।
रेड बॉल क्रिकेट खुद को बार-बार टेस्ट करता है। मैं खुद से लगातार बात करता रहता हूं। तीन-चार ओवर के छोटे फेज बनाकर खेलता हूं। टॉप ऑर्डर में हूं, इसलिए जितना लंबा खेलूंगा टीम को उतना फायदा होगा। जब मैंने अंडर-16 में शतक बनाया था तब भी कोच से डांट मिली थी। उनका कहना था कि दोहरा शतक मिस हो गया। तब से लंबी पारी को लेकर मेरी सोच बदल गई।
तकनीकी बदलाव छोटे-मोटे होते रहते हैं। सबसे बड़ा बदलाव मानसिक है। खुद को बैक करना सीखा है। रणजी जैसे लेवल पर उतार-चढ़ाव आता है लेकिन हर मैच के बाद खुद पर शक करने से बेहतर है अपनी मेहनत और तैयारी पर भरोसा रखना।
टी20 मेरा नेचुरल गेम है। मैं अटैकिंग बल्लेबाज हूं लेकिन रेड बॉल ज्यादा चैलेंजिंग है- कंडीशंस, स्पिन, फिटनेस और धैर्य सब टेस्ट होते हैं इसलिए ऑफ सीजन में मैं ज्यादा फोकस रेड बॉल प्रैक्टिस पर करता हूं। व्हाइट बॉल में चौके-छक्कों का मजा है लेकिन रेड बॉल में डिफेंस करके भी जो कॉन्फिडेंस मिलता है वो अलग ही होता है।
झारखंड के खिलाफ 176 रन की पारी मेरे लिए खास रही। 350 से ज्यादा लक्ष्य था और जिम्मेदारी बड़ी थी। इसके अलावा मुंबई के खिलाफ टी20 में तेज 60 रन और बड़ी पार्टनरशिप भी यादगार है।
मुश्किल समय सबके जीवन में आता है, मेरी सबसे बड़ी सपोर्ट सिस्टम मेरी मां मनीषा मोखाड़े हैं। वे मेरी सबसे बड़ी बिलीवर हैं। इसके अलावा मैं बचपन के दोस्त नचिकेत मैराल से हर विषय पर बात करके अपनी दुविधा दूर करता हूं।
मेरे पापा रवींद्र मोखाड़े ने शुरुआत में बेसिक्स सिखाए। बाद में कोच उमेश पटवाल और ज्वाला सर से तकनीकी और मानसिक पहलुओं पर बहुत कुछ सीखने को मिला। एनसीए में बेहतरीन सुविधाएं हैं, बाकरे हर कंडीशन के हिसाब से सुविधाएं मुहैया कराते हैं जिससे खिलाड़ियों को आगे बढ़ने में आसानी होती है।
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अगर आप स्मॉल टाउन से आते हैं तो कभी खुद को छोटा मत समझिए। खुद पर यह भरोसा रखिए कि आप विनर हैं, मैच-विनर हैं। स्किल सबके पास होती है, फर्क सिर्फ इस बात से पड़ता है कि आप खुद को कितना बड़ा मानते हैं।
– नवभारत लाइव पर नागपुर से जयदीप रघुवंशी का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू