उद्योग जगत (AI Generated Image)
Ladli Scheme Impact: राज्य में उद्योग लाने के लिए सरकार जी जान लगाती है। जान लगाने का परिणाम भी दिखाई दे रहा है। बड़े-बड़े करार किए गए हैं और विदर्भ से लेकर मुंबई तक कंपनियां आईं हैं। सभी अलग-अलग स्टेज पर हैं। उद्योग लाने के लिए सरकार ‘लुभावनी’ पेशकश करती है। ये लुभावनी पेशकश ‘कारगर’ भी होते हैं। परंतु ऐेसा देखा जा रहा है कि पिछले कई वर्षों से उद्योगों को उनका हक यानी सब्सिडी नहीं मिल पा रही है।
इस वित्तीय वर्ष की बात करें तो सब्सिडी राशि पहुंची ही नहीं है। यह अलग बात है कि सरकार ने ‘बैकलॉग’ कुछ खत्म किया है। यह राशि अब लगभग 7,500 करोड़ के पास है जो उद्योगों का बकाया है। इसमें लार्ज स्केल यूनिट भी है और एमएसएमई यूनिट भी। 7,500 करोड़ कोई छोटी राशि नहीं है, विदर्भ सहित मराठवाड़ा के उद्योग इसके कारण हिल गए हैं।
सरकार तमाम प्रकार की सहूलियतें देती है। मकसद एक ही होता है, निवेश बढ़े और रोजगार का सृजन हो। इससे राज्य समृद्ध होता है, खुशहाली आती है लेकिन अब देखने में आ रहा है कि सरकार अपने वादे से मुकर रही है।
उद्योगों को प्रोत्साहन योजना के तहत मिलने वाली राशि काफी समय से नहीं मिल रही है। इससे उद्योग वाले भटक रहे हैं और राशियों तिजोरी में अटक रही है। उद्योग जगत में यह चर्चा आम है कि ‘लाडली’ के चक्कर में सरकार ने उद्योग को दांव पर लगा दिया है।
सूत्रों ने बताया कि अब तक उद्योगों को एकमुश्त राशि मिलती रही है लेकिन इस बार ऐसा हो रहा है कि सरकार कभी 5 फीसदी, कभी 7 फीसदी और कभी 10 फीसदी जारी कर रही है। ऐसा लग रहा मानों सरकार उद्योगों को ‘उपकार’ कर रही हो। सरकार की इस प्रवृत्ति से उद्योग का संचालन मुश्किल होता जा रहा है। खाकर छोटे और मंझोले उद्योग वाले परेशान हो रहे हैं। नागपुर में ही इस योजना के लिए 145 से अधिक उद्योग पात्र हैं। इनका इंतजार दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है।
जानकारी के अनुसार सबसे अधिक झटका लार्ज स्केल, मेगा, अल्ट्रा मेगा यूनिटों को लगा है। जनवरी-23 से सितंबर-23 के बीच का केवल 75 फीसदी, अक्टूबर-23 से जून-24 के बीच का केवल 60 फीसदी, जून-24 से दिसंबर-24 के बीच का केवल 50 फीसदी और जनवरी-25 से मार्च-25 के बीच 25 फीसदी भुगतान ही हो पाया है।
मार्च-25 से लेकर दिसंबर-25 तक की बात करना भी बेमानी है क्योंकि इस काल का एक रुपया भी उद्योग को नहीं दिया गया है। यह राशि लगभग 7,500 करोड़ के आसपास है। इतनी बड़ी राशि होने के बाद भी सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है।
एमएसएमई सेक्टर को देश के विकास में रीढ़ की हड्डी माना जाता है लेकिन इन एमएसएमई इकाइयों को इस चालू वित्तीय वर्ष में एक रुपये का भुगतान नहीं किया गया है। यह अलग बात है कि एमएसएमई के 1,265 करोड़ रुपये भी बकाया थे जिन्हें सरकार ने जारी कर कुछ राहत प्रदान की है लेकिन उन्हें भी जिस तरह से ‘झुलाया’ गया उससे कई लोगों की कमर टूट गई थी।
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बकाया सब्सिडी देने के लिए उद्योग संगठनों ने कई मंचों से आवाज उठाई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, वित्त मंत्री अजीत पवार को इस संबंध में दर्जनों बार पत्र लिखकर भेजा गया लेकिन कहीं से भी राहत नहीं मिली। दोनों नेताओं से व्यक्तिगत रूप से संगठनों के प्रतिनिधियों ने मुलाकात भी की है और वस्तुस्थिति से अवगत कराया है परंतु यहां से भी उन्हें सकारात्मक रिस्पांस नहीं मिला जिससे उनमें निराशा छा गई है।
| वर्ष / अवधि | पेंडिंग (%) |
|---|---|
| जनवरी 2023 – सितंबर 2023 | 25.90% |
| अक्टूबर 2023 – जून 2024 | 41.72% |
| जून 2024 – दिसंबर 2024 | 50.09% |
| जनवरी 2025 – मार्च 2025 | 74.81% |
| मार्च 2025 – दिसंबर 2025 | 100% |