
नागपुर न्यूज
Nagpur News: आने वाले महीनों में बैंक पर ताला लगाने की नौबत आ सकती है। इस बैंक ने किसानों को ऋण देना बंद कर दिया है। इसके अलावा लगभग 200 करोड़ रुपये का गबन किया गया है और 133 कर्मचारियों की अवैध नियुक्ति में करीब 70 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है। यह आरोप नागपुर में आयोजित प्रेस परिषद में यवतमाल के पूर्व नगराध्यक्ष संतोष बोरेले ने लगाया।
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि नियमबाह्य पद्धतियों से भागीदारों के माध्यम से लगभग 6000 करोड़ रुपये का एनपीए घोटाला किया गया है। उन्होंने बैंक के संचालक मंडल को बर्खास्त कर तत्काल प्रशासक नियुक्त करने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस बैंक में पिछले डेढ़ दशक से भारी अनियमितताएं हो रही हैं जिसकी जांच आवश्यक है। इस बैंक में राजनीतिक हित जुड़े हुए हैं और डीसीएम अजीत पवार का भी इसमें संरक्षण है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार को भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की जानकारी होते हुए भी कोई कार्रवाई नहीं कर रही। इसलिए उन्होंने न्यायालय में याचिका दायर कर कार्रवाई की मांग की है। इसके अलावा बैंक के लेन-देन की न्यायिक जांच, नाबार्ड द्वारा जांच, सीबीआई जांच, विशेष ऑडिट करवा राज्य सरकार से एसआईटी गठित करने की मांग भी उन्होंने रखी। यवतमाल के विधायक बालासाहेब मांगुलकर और एड. राज बोरेले उपस्थित थे।
उन्होंने बताया कि 28 दिसंबर 2018 को राज्य के सहकार आयुक्त एवं निबंधक सहकारी संस्था द्वारा 147 नियुक्तियों की अनुमति दी गई थी। इसके बाद बैंक के संचालक मंडल ने योग्य एजेंसी को हटाकर अमरावती की ब्लैक लिस्टेड संस्था एमआईएचटीएस को काम सौंपा जिसमें लगभग 50 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ। 4 अगस्त 2025 को 133 नियुक्तियां की गईं जिनमें उम्मीदवारों से करोड़ों रुपये की वसूली की गई।
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इस भर्ती प्रक्रिया में लगभग 70 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ। बैंक का एनपीए 53 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जिसके कारण आरबीआई ने 2 बार जुर्माना लगाया। यह जुर्माना भी किसानों और जमाकर्ताओं के पैसों से भरा गया है। बोरेले ने बैंक के संचालक मनीष पाटिल, प्रभारी सीईओ प्रवीण दुधे तथा सभी 23 संचालक मंडल सदस्यों की विस्तृत जांच की मांग की है।






