बॉम्बे हाईकोर्ट (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)
Maharashtra School : राज्यभर के लगभग 300 कॉलेजों में कोई भी छात्र नहीं होने के बावजूद कर्मचारियों को वेतन के रूप में करोड़ों की मदद राज्य सरकार द्वारा बतौर अनुदान दिए जाने को लेकर ‘नवभारत समाचार पत्र’ में खबर छपी। हाई कोर्ट में किसी याचिका पर सुनवाई के दौरान एक वकील द्वारा समाचार पत्र में छपी खबर पर हाई कोर्ट का ध्यानाकर्षित किया गया जिसके बाद हाई कोर्ट ने इस खबर पर स्वयं संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकृत किया। कोर्ट के आदेश के अनुसार सोमवार को अदालत मित्र अधिवक्ता राहुल घुगे ने इसे जनहित याचिका के रूप में कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया, जिसके बाद न्यायाधीश अनिल किल्लोर और न्यायाधीश वृषाली जोशी ने राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के सचिव सहित तमाम प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने का आदेश दिया है।
महाराष्ट्र के 300 महाविद्यालयों को कर्मचारियों के वेतन के लिए अनुदान मिल रहा है, लेकिन आश्चर्यजनक यह है कि उनमें एक भी छात्र ने प्रवेश नहीं लिया है। इस पूरे मसले पर महाराष्ट्रा हाई कोर्ट ने कहा कि समाचार के माध्यम से किया गया उपरोक्त चौंकाने वाला खुलासा न केवल जनता के धन की बर्बादी बल्कि प्रबंधन द्वारा शैक्षणिक संस्थानों के कुप्रबंधन को भी दर्शाता है।
यदि प्रबंधन को अपने संस्थानों में पर्याप्त संख्या में छात्र नहीं मिल रहे हैं तो ऐसी स्थिति से निपटने के लिए कानून में प्रावधान हैं और ऐसे संस्थानों के कर्मचारियों के साथ महाराष्ट्र निजी विद्यालय कर्मचारी (सेवा शर्तें) विनियमन अधिनियम, 1981, माध्यमिक विद्यालय संहिता और शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों के अनुसार व्यवहार किया जा सकता है।
विशेषत: महाराष्ट्र के 300 जूनियर कॉलेजों में एक भी छात्र न होने और कर्मचारियों को वेतन दिए जाने की बात महाराष्ट्र राज्य सरकार के स्तर पर भी स्वीकार की गई है। लोगों का मानना है कि क्या एक और घोटाला उजागर हुआ है जहां छात्रों का पंजीकरण पहले कागजों पर किया गया होगा ताकि कर्मचारियों की नौकरियां बची रहें।
गत सप्ताह विधान परिषद में सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 11वीं कक्षा में एक भी प्रवेश पाने में विफल रहने वाले कॉलेजों का आंकड़ा इस साल पहली बार FYJC प्रवेश को ऑनलाइन मोड में स्थानांतरित किए जाने के बाद सामने आया है।
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स्कूली शिक्षा राज्य मंत्री पंकज भोयर ने इस साल शुरू हुई ऑनलाइन कॉमन एडमिशन प्रक्रिया (CAP)पर एक व्यापक चर्चा के दौरान एक पंक्ति में यह आंकड़ा प्रस्तुत किया, जबकि सरकार ने इनमें से किसी भी संस्थान की पहचान नहीं की।