(प्रतीकात्मक तस्वीर)
नागपुर: डॉक्टर भले ही डिलीवरी को लेकर निश्चित समय बताएं लेकिन एक-दो दिन आगे-पीछे तिथि हो ही जाती है। कई माता-पिता एक निश्चित तिथि पर बच्चे के जन्म की चाहत रखते हैं जबकि कई अभिभावक केवल स्वस्थ और सुरक्षित डिलीवरी की कामना करते हैं। और हां, कुछ खास तिथियों पर जन्म हो जाए तो माता-पिता सहित नवजात के लिए भी सोने पर सुहागा हो जाता है। नागपुर में नये वर्ष के जन्म दिवस का भाग्य लेकर करीब 150 से अधिक नवजात आये।
नए वर्ष के पहले दिन घर में नया मेहमान आया, चाहे वह लड़की हो या लड़का, सभी को खुशी होती है। इस दिन जन्म लेने वालों के लिए जीवन भर दोहरा सेलिब्रेशन होता है। 1 जनवरी को नागपुर के डागा, मेयो और मेडिकल समेत निजी अस्पतालों में पहले 12 घंटों में 80 से 90 बच्चों का जन्म हुआ जबकि 24 घंटों के भीतर करीब 150 से अधिक बच्चों का जन्म हुआ। हालांकि प्राइवेट अस्पतालों में जन्म का सही आंकड़ा नहीं मिल सका लेकिन औसतन संख्या लगभग इतनी ही मानी जा रही है।
नागपुर शहर के इंदिरा गांधी शासकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में नए वर्ष के पहले 12 घंटों में 8 बच्चों का जन्म हुआ। इनमें लड़कियों की संख्या 4 और लड़कों की संख्या 4 रही। इन सभी 8 बच्चों का जन्म सिजेरियन डिलीवरी से हुआ।
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डागा महिला अस्पताल में आधी रात के बाद 14 बच्चों का जन्म हुआ। इसमें 8 लड़कियां और 6 लड़के शामिल हैं। इनमें से 11 डिलीवरी सिजेरियन हुई। वहीं 5 सामान्य प्रसूति हुई। शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल में 12 घंटे में 12 प्रसूति हुई। इसमें 2 लड़कियां और 10 लड़कों ने जन्म लिया। 6 सिजेरियन और 6 सामान्य प्रसूति हुई।
डागा के वैद्यकीय अधीक्षक डॉ. दिलीप मडावी ने बताया कि सर्वाधिक डिलीवरी नये वर्ष के पहले 12 घंटे के भीतर हुई। सिटी में 640 से अधिक निजी अस्पताल हैं। इनमें से 50 प्रतिशत के करीब नर्सिंग होम हैं। इन निजी नर्सिंग होम में प्रतिदिन 70 से 80 नवजात जन्म होते हैं। नागपुर में हर वर्ष 58 से 69 हजार बच्चे पैदा होते हैं।