ट्रंप का पुतला (फोटो-सोशल मीडिया)
Nagpur Marbat Donald Trump Badgya 2025: नागपुर सहित पूरे महाराष्ट्र में धूमधाम से मारबत उत्सव मनाया जा रहा है। इस पर्व को महाराष्ट्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के रूप में जाना जाता है। मारबत उत्सव के अवसर पर शोभायात्रा निकाली जाती है। शोभायात्रा में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर बडगे (पुतला) के जरिए व्यंग की परंपरा रही है। खास बात यह है कि इस उत्सव को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है और उसी के अनुरूप पुतले भी बनाए जाते हैं।
नागपुर में मारबत महोत्सव की शोभायात्रा ने अपने खास बडगे से सब का ध्यान आकार्शित किया। इस बडगे के जरिए इंटरनेशल राजनीतिक व्यंग किया गया है। यह बडगा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का है। ट्रंप के बडगे वाली शोभा यात्रा का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
ट्रंप का यह बडगा छत्रपति शिवाजी पार्क बडगे उत्सव समिति द्वारा बनवाया गया है। इसे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत आयात शुल्क का प्रतीकात्मक विरोध माना जा रहा है। पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद ट्रंप की पाकिस्तान के साथ नजदीकियां भी भारतियों को पंसद नहीं आई हैं। इसलिए मारबत महोत्सव में ट्रंप को विलेन बना दिया गया है।
नागपुर में मारबत महोत्सव में ट्रंप बडगे (पुतला) बनाकर शोभायात्रा निकाली गई। यह यात्रा बुराई पर अच्छाई की जीत तौर पर निकाली जाती है। इस शोभा यात्रा में ट्रंप को बुरे के पुतले को बुराई के तौर पर दिखाया गया। #Nagpur #TrumpTariffs pic.twitter.com/DhVKybZaDH
— Saurabh Pal (Baghel) (@saurabhetv) August 23, 2025
ये भी पढ़ें- ‘पीएम मोदी और पाक के बीच मैच फिक्सिंग’, सपा नेता की भारत-पाकिस्तान मैच के खिलाफ बैटिंग
स्वतंत्रता-पूर्व जब अंग्रेजों के अत्याचारों से जनता त्रस्त थी, तब नागपुर की जनता अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष कर रही थी। उस समय भोसले घराने की बाकाबाई ने अंग्रेजों से समझौता किया था। इसी बाकाबाई के विरोध में 1881 से काली मारबत निकाली जाने लगी। मस्कासाथ इलाके के नेहरू पुतले से इस काली मारबत की शोभायात्रा शुरू होती है। 1942 में, मारबत उत्सव के दौरान इतवारी क्षेत्र में दंगा हुआ था, जिसमें 5 लोग गोलीबारी में मारे गए थे, फिर भी शोभायात्रा निकाली गई थी। वहीं कोरोना काल में भी, सख्त पाबंदियों के बावजूद, सीमित लोगों की उपस्थिति में इस परंपरा को निभाया गया।