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नागपुर: नागपुर से आज हम मेडिकल विभाग से जुड़ी एक जरूरी खबर देने जा रहे है। दरअसल चिकित्सा शिक्षा एवं औषधि विभाग में 13 जुलाई को वक्त हड़कंप मच गया था, जब एक ही दिन में प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों से सैकड़ों डॉक्टरों का तबादला कर दिया गया था। ऐसेमें अब गुरुवार को एक बार फिर 75 डॉक्टरों के तबादलों की ई-मेल लीक होने से मेडिकल क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। आइए यहां जानते है पूरी खबर…
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चौंकाने वाली बात यह है कि जिस डॉक्टर का रिटायरमेंट डेढ़ माह दूर है, उसके तबादले ने विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा कर दिया है। जी हां 10 अगस्त को चिकित्सा शिक्षा एवं औषधि विभाग ने राज्य के मेडिकल कॉलेजों के विभिन्न विभागों से 75 डॉक्टरों का तबादला कर दिया। आपको बता दें कि इसमें फार्माकोलॉजी से लेकर एनाटॉमी विभाग तक के डॉक्टर शामिल हैं। नागपुर के कुछ डॉक्टरों को विदर्भ के बजाय मराठवाड़ा के लातूर, संभाजीनगर, धाराशिव मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया गया है।
नागपुर सरकारी मेडिकल कॉलेज (मेडिकल) से 12 और इंदिरा गांधी सरकारी मेडिकल कॉलेज (मेयो) से 7 जैसे कुल 19 डॉक्टरों को स्थानांतरित कर दिया गया है। दिलचस्प बात यह है कि स्थानांतरण आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त को एकतरफा बर्खास्तगी के लिए अलग से आदेश जारी करने की आवश्यकता नहीं है।
नागपुर मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ. वंदना अग्रवाल का तबादला अकोला मेडिकल कॉलेज में कर दिया गया है. डॉ। अग्रवाल करीब डेढ़ महीने बाद 30 सितंबर को रिटायर हो जाएंगे। लेकिन उन्हें भी बदल दिया गया है। नागपुर मेडिकल कॉलेज, फार्माकोलॉजी विभाग, डॉ. राजेश गोसावी का तबादला गोंदिया मेडिकल में कर दिया गया है। डॉ. गोसावी 30 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे। जबकि नागपुर मेयो के प्रिवेंटिव एवं सोशल मेडिसिन मेडिसिन विभाग के डाॅ. अशोक जाधव को पुणे मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया गया है। डॉ. जाधव का रिटायरमेंट एक साल के लिए है।
प्रदेश में कई डॉक्टरों और प्रोफेसरों के समय से पहले और अवैध तबादलों का रोना है। स्थानांतरण पीड़ितों का कहना है कि उनमें से कई बूढ़े माता-पिता के बच्चों का शिक्षा सत्र शुरू हो गया है और वह भी आपत्तिजनक और अवैध है। रिटायरमेंट से तीन साल पहले ट्रांसफर न देने का नियम भी पुराना बताया जा रहा है।
यूएसए में अब कॉलेज में असमंजस की स्थिति के चलते कुछ डॉक्टर कोर्ट से स्टे ले आए हैं। इसके कारण स्थानांतरित डॉक्टर और निलंबित डॉक्टर एक ही विभाग में काम कर रहे हैं। इससे मेडिकल कॉलेज में अफरा-तफरी मच गयी।