राणे बंधुओं की सोशल मीडिया पर जंग। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय सबसे गर्म चर्चाओं में एक नाम है। राणे बनाम राणे! एक ऐसा सियासी ड्रामा, जो घर के अंदर की नाराज़गी से शुरू होकर अब खुले मंच पर आ गया है। केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के दोनों बेटे निलेश राणे और नितेश राणे अब सिर्फ विचारों में नहीं, बल्कि शब्दों के स्तर पर भी आमने-सामने आ गए हैं। जिस परिवार की छवि अब तक एकजुट और संगठित मानी जाती थी, वही परिवार अब सोशल मीडिया पर आपसी कटाक्ष और पलटवार की वजह से सुर्खियों में है।
दरअसल, कुछ दिन पहले नितेश राणे ने एक जनसभा के दौरान एक बेहद तीखा बयान दिया “भाजपा का मुख्यमंत्री सबका बाप होता है।” यह बयान उन्होंने धाराशिव जिले में एक भाषण के दौरान दिया था। ये शब्द शिंदे गुट की शिवसेना को चुभ गए। इसे एक तरह से अपने ही गठबंधन के साथी पर हमला माना गया। इस बात को लेकर शिवसेना खेमे में नाराज़गी छा गई। लेकिन सबसे चौंकाने वाला मोड़ तब आया, जब नितेश के बड़े भाई निलेश राणे ने ही सोशल मीडिया पर सार्वजनिक रूप से उनकी आलोचना कर डाली।
निलेश राणे ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा “नितेश को बोलते वक्त सोच-समझकर बोलना चाहिए। किसके शब्द किसे फायदा पहुंचा रहे हैं, ये जानना ज़रूरी है। हम गठबंधन में हैं, मंच से जोश में बोलना आसान होता है, लेकिन हर बात का असर होता है।” निलेश की ये पोस्ट सिर्फ एक सलाह नहीं थी, बल्कि राजनीतिक गलियारों में इसे सीधे-सीधे डांट माना गया। खासकर इसलिए क्योंकि उन्होंने अपने ही भाई को सार्वजनिक मंच पर घेरा।
आदरणीय निलेशजी ,
आपणच काही दिवसा अगोधर महायुती बदल बोलला होता..
आता असे आपल्याच मित्र पक्षाचा पदाधिकारी ला धमकवणे बरोबर नाही..
शेवटी आपण महायुतीचे घटक आहोत..
आपण नोंद घ्याल अशी अपेक्षा करतो @meNeeleshNRane pic.twitter.com/iMcMSTQVh3— Nitesh Rane (@NiteshNRane) June 18, 2025
निलेश की पोस्ट का जवाब नितेश ने कुछ दिन बाद दिया और वो भी पूरे शातिर अंदाज़ में। उन्होंने अपने बड़े भाई की पुरानी पोस्ट का स्क्रीनशॉट साझा किया, जिसमें निलेश ने खुद गठबंधन की एकता और सहयोग की बात कही थी। इस स्क्रीनशॉट के साथ नितेश राणे ने लिखा “आदरणीय निलेशजी, आपने ही कुछ दिन पहले महागठबंधन के बारे में कहा था। अब उसी गठबंधन के साथी विधायक को धमकाना कहां तक उचित है? आखिर हम एक साथ हैं, उम्मीद करता हूं आप इस पर विचार करेंगे।”
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राणे परिवार राजनीति में दशकों से सक्रिय रहा है। नारायण राणे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनके दोनों बेटे भी राजनीति में खासे सक्रिय हैं। नितेश राणे भाजपा से विधायक और राज्य में मंत्री हैं। निलेश राणे, जो पहले भाजपा में थे, अब शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक हैं। दरार की शुरुआत तब हुई जब भाजपा ने एक ही परिवार से दो लोगों को टिकट देने से इंकार किया। निलेश को पार्टी ने किनारे किया और नतीजतन उन्होंने शिंदे गुट का दामन थाम लिया।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि ये झगड़ा सिर्फ शब्दों का नहीं है, बल्कि सत्ता और पहचान की भी लड़ाई है। निलेश को यह नागवार गुजर रहा है कि छोटे भाई को मंत्री पद मिला और उन्हें टिकट तक नहीं मिला। वहीं नितेश शायद इस बात से आहत हैं कि भाई होकर भी निलेश ने सार्वजनिक रूप से उन पर हमला बोला। यह पूरी लड़ाई गठबंधन राजनीति की कमजोरी, पारिवारिक वर्चस्व की लड़ाई और सोशल मीडिया के ज़रिए सियासी दांव-पेंच की मिसाल बन गई है।
क्या नारायण राणे इस पारिवारिक टकराव को शांत कर पाएंगे? क्या भाजपा और शिंदे गुट इस अंदरूनी विवाद से कोई सियासी नुकसान उठाएंगे? क्या यह सिर्फ ‘भाईयों की तकरार’ है या आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति का हिस्सा? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में सामने आएंगे, लेकिन इतना तय है कि राणे परिवार का यह झगड़ा फिलहाल थमने वाला नहीं।