वर्षा गायकवाड़ बोद्ध भिक्षुओं के साथ (pic credit; social media)
Mahabodhi Act 1949: मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष और सांसद वर्षा गायकवाड़ ने मंगलवार को महाबोधि महाविहार के प्रबंधन और अधिकारों को लेकर जोरदार आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि महाबोधि महाविहार सिर्फ बौद्ध समुदाय का पवित्र स्थल है और इसका प्रबंधन भी केवल बौद्ध समुदाय के पास होना चाहिए। उन्होंने मांग की कि महाबोधि महाविहार प्रबंधन अधिनियम 1949 को तत्काल निरस्त किया जाए और बौद्ध समुदाय को उनके संपूर्ण अधिकार वापस दिए जाएं।
इस मुद्दे पर उन्होंने मेट्रो सिनेमा से आजाद मैदान तक महामोर्चा निकाला, जिसमें विभिन्न संगठनों और पार्टी स्तरों के लोग शामिल हुए। वर्षा गायकवाड़ ने कहा कि यह लड़ाई केवल मुंबई तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में महाबोधि महाविहार के अधिकारों को लेकर आंदोलन चल रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि संसद और महाराष्ट्र विधानसभा में भी इस मुद्दे पर आवाज उठाते रहेंगे और प्रधानमंत्री से मिलकर न्याय की मांग करेंगे।
साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई पर अदालत में जूता फेंकने के प्रयास की कड़ी निंदा की। वर्षा ने कहा कि देश में मनुवाद बढ़ रहा है और न्यायपालिका पर हमले हो रहे हैं, जबकि हमलावरों का समर्थन किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री जब विदेश में जाते हैं, तो गौतम बुद्ध, महात्मा गांधी और संविधान का जिक्र करते हैं, लेकिन देश में संविधान का उल्लंघन हो रहा है और दलितों पर हमले हो रहे हैं।
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वर्षा गायकवाड़ ने भरोसा दिलाया कि जब तक बौद्ध समुदाय को उनका न्याय और अधिकार नहीं मिल जाता, यह लड़ाई लगातार जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि महाबोधि महाविहार का संरक्षण और प्रबंधन केवल बौद्ध समुदाय के हाथों में होना चाहिए ताकि यह धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत सुरक्षित रहे।
इस महामोर्चे में बौद्ध समुदाय के साथ-साथ समाज के अन्य वर्गों ने भी समर्थन दिया और महाबोधि अधिनियम 1949 के खिलाफ आंदोलन को व्यापक बनाने का संदेश दिया। इस मुद्दे पर राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर बहस तेज होने की संभावना है।