वंदे भारत (pic credit; social media)
Vande Bharat takes over goods yard of Western Railway: मुंबई के जोगेश्वरी में वंदे भारत सिटिंग और स्लीपर ट्रेनों के रखरखाव यार्ड का निर्माण अब तक फाइलों में अटका हुआ है। वेस्टर्न रेलवे मौजूदा गुड्स यार्ड को हटाने की तैयारी में है, लेकिन रेलवे बोर्ड से कोई लिखित आदेश अब तक नहीं मिला है। मौखिक निर्देशों के आधार पर रेलवे आगे बढ़ने में हिचकिचा रही है।
वर्तमान में जोगेश्वरी और राम मंदिर स्टेशनों के बीच जोगेश्वरी टर्मिनस का निर्माण कार्य चल रहा है। अधिकारियों के अनुसार, टर्मिनस अधूरा होने की वजह से वंदे भारत यार्ड की लोकेशन तय करना मुश्किल है। एक अधिकारी ने बताया, “जब टर्मिनस पूरी तरह बन जाएगा, तभी कारशेड की जमीन फाइनल की जाएगी। फिलहाल हम गुड्स यार्ड को शिफ्ट करने के विकल्प तलाश रहे हैं।”
वंदे भारत यार्ड के लिए करीब 8,000 वर्ग मीटर जमीन की जरूरत है। यही कारण है कि मौजूदा जोगेश्वरी गुड्स यार्ड को हटाने की योजना बनाई गई है। लेकिन यह यार्ड मुंबई से बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ तक वाहनों के परिवहन का अहम केंद्र है। अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच यहां से 17 ऑटोमोबाइल रेक्स भेजे गए, जिनमें 1,700 से ज्यादा महिंद्रा कारें शामिल थीं।
अगर यार्ड बंद हुआ तो वाहन परिवहन पर सीधा असर पड़ेगा। वेस्टर्न रेलवे फिलहाल कांदिवली और वरई को वैकल्पिक स्थान के रूप में देख रही है, लेकिन तय लोकेशन न होने की वजह से काम अटका है। अधिकारी ने स्पष्ट किया, “जब तक बोर्ड से लिखित पत्र नहीं मिलता, हम कोई आधिकारिक कदम नहीं उठा सकते। इससे वंदे भारत यार्ड का निर्माण भी आगे खिसक सकता है।”
जोगेश्वरी टर्मिनस प्रोजेक्ट का काम अगस्त 2025 तक सिर्फ 51% ही पूरा हो पाया है। दिसंबर 2025 तक इसे तैयार करने का लक्ष्य था, लेकिन अब इसे अगले वित्तीय वर्ष तक टालने की संभावना है। यह देरी न केवल यात्रियों की सुविधा को प्रभावित कर रही है, बल्कि वंदे भारत जैसी हाई-स्पीड सेवाओं के विस्तार को भी धीमा कर रही है।
रेलवे की यह परेशानी साफ सवाल खड़ा करती है, जब देशभर में वंदे भारत को गति देने की बात हो रही है, तो मुंबई में इसका इंजन क्यों प्रशासनिक अड़चनों में फंसा है?