मंत्री मोहोल ने जैन ट्रस्ट की में अपने खिलाफ लगे आरोपों नकारे (सौजन्य_ सोशल मीडिया)
Pune News: केंद्रीय मंत्री मुरलीधर मोहोल ने रविवार को पुणे में जैन ट्रस्ट की संपत्ति की बिक्री को लेकर अपने खिलाफ लगे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि जब औपचारिक रूप से यह सौदा हुआ था, तब वह बिल्डर से जुड़े नहीं थे। किसान नेता और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने आरोप लगाया है कि सेठ हीराचंद नेमचंद जैन दिगंबर बोर्डिंग की एक प्रमुख संपत्ति को एक निजी बिल्डर को प्रस्तावित बिक्री के मामले में पुणे से भाजपा सांसद मोहोल शामिल थे।
मॉडल कॉलोनी में लगभग 12,000 वर्ग मीटर (3.5 एकड़) में फैली इस महंगी संपत्ति में कई दशक पुराना जैन बोर्डिंग सुविधा और श्री भगवान महावीर दिगंबर जैन मंदिर है। ये दोनों 1958 में स्थापित एक परमार्थ ट्रस्ट सेठ हीराचंद नेमचंद स्मारक ट्रस्ट का हिस्सा हैं। उक्त संपत्ति पुणे स्थित गोखले कंस्ट्रक्शन्स ने सेठ हीराचंद नेमचंद मेमोरियल ट्रस्ट से 311 करोड़ रुपये में खरीदी है।
जैन समुदाय के हजारों सदस्यों ने शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि कुछ ट्रस्टियों ने ‘डेवलपर’ के साथ समझौता किया है और ट्रस्ट के नियमों का उल्लंघन करते हुए संपत्ति बेच दी है। विपक्षी दल राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने शनिवार को विरोध प्रदर्शन को समर्थन दिया और पूरी जांच तथा जारी परियोजना को स्थगित करने की मांग की। रविवार को यहां पत्रकारों से बात करते हुए मोहोल ने कहा, “राजू शेट्टी को इतना गंभीर आरोप लगाते समय एक बार मुझसे बात करनी चाहिए थी। मैं उन्हें सच्ची स्थिति बताता।”
मोहोल ने कहा कि संपत्ति की खरीद के दौरान सभी लेन-देन गोखले बिल्डर्स द्वारा किए गए थे फिर भी उनके खिलाफ आरोप लगाए गए, जिसका उन्होंने खंडन किया। भाजपा नेता ने कहा, “गोखले के साथ दो एलएलपी थीं – दोनों साझेदारी फर्म थीं। 2023 में विशाल गोखले ने दो एलएलपी (सीमित देयता भागीदारी) बनाईं। 2024 में जब मैंने अपना नाम वापस ले लिया, तो हमारे बीच एक भी रुपये का लेनदेन नहीं हुआ। मैंने 25 नवंबर 2024 को दोनों एलएलपी से इस्तीफा दे दिया।”
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उन्होंने कहा, “जैन बोर्डिंग के ट्रस्टियों ने 16 दिसंबर (पिछले साल) को एक बैठक की, जहां इस मुद्दे पर चर्चा की गई और उन्होंने पुनर्विकास के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया। गोखले ने इस साल आठ अक्टूबर को ट्रस्टियों के साथ बिक्री विलेख पूरा कर लिया, जबकि मैंने 2024 में ही एलएलपी से अपना नाम वापस ले लिया, यानी 11 महीने पहले। जैन समुदाय के एक भी सदस्य ने मुझ पर आरोप नहीं लगाया है। वास्तव में मैं उनकी चिंताओं को समझने की कोशिश कर रहा हूं और देख रहा हूं कि मैं उनकी कैसे मदद कर सकता हूं।” मोहोल ने कहा कि 32 वर्षों तक काम करने के बाद यह निराशाजनक है कि उनके खिलाफ निराधार आरोप लगाया गया।
उन्होंने कहा, “मैंने (बिल्डर के साथ अपनी साझेदारी खत्म करने की) पूरी रिपोर्ट सभी के साथ साझा की है और झूठे आरोप न लगाने का अनुरोध किया है। जिस दिन मुझे लगेगा कि मैंने कुछ गलत किया है, मैं खुद ही पद छोड़ दूंगा।” पुणे शहर में बिल्डर (गोखले) के साथ उनकी साझेदारी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “कानून और प्रावधान स्पष्ट रूप से कहते हैं कि अगर मैं इस देश का मंत्री हूं, तो मुझे कोई भी नौकरी करने या किसी भी कंपनी के साथ साझेदारी करने की अनुमति नहीं है।”