उद्धव ठाकरे (सोर्स: सोशल मीडिया)
Maharashtra Politics: शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए क्रिकेट मैच को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने यह मैच देखा, वे देशद्रोही हैं। ठाकरे के इस बयान ने राजनीतिक हलकों से लेकर सोशल मीडिया तक गहन बहस छेड़ दी है।
दरअसल, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के प्रति लगातार कड़ा रुख अपनाया है। इसी बीच जब एशिया कप में भारत-पाकिस्तान मुकाबले का शेड्यूल जारी हुआ, तो देश में इसका विरोध शुरू हो गया। विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाते हुए केंद्र सरकार को घेरा और मैच रद्द करने की मांग की। शिवसेना (यूबीटी) लगातार इस मुकाबले का विरोध कर रही थी। हालांकि केंद्र ने नियमों का हवाला देते हुए टूर्नामेंट में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था।
अब मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, “मैंने एक देशभक्त की तरह वह मैच नहीं देखा। जो लोग वह मैच देख रहे थे, वे देशद्रोही हैं। देशभक्ति सिर्फ खेल देखने तक सीमित नहीं होनी चाहिए। देश के हित से जुड़े मामलों में सजग और सक्रिय रहना ही असली देशभक्ति है।”
उद्धव ठाकरे ने अपने बयान में महाराष्ट्र में आई भीषण बाढ़ और किसानों की परेशानियों का भी जिक्र किया। उन्होंने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा
उद्धव ठाकरे ने आरोप लगाते हुए कहा कि हाल ही में कुछ चीनी मिल मालिकों ने अपनी कर्ज में डूबी मिलों के लिए करोड़ों रुपये का बीमा कराया है। उन्होंने सवाल उठाया, “अगर भाजपा नेताओं को सुरक्षा मिल सकती है, तो किसानों को क्यों नहीं?” इसके अलावा उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गन्ना उत्पादकों और किसानों से अतिरिक्त शुल्क वसूल रही है, जबकि चीनी मिल मालिकों पर कोई दबाव नहीं डाला जा रहा। अब चीनी संघों ने भी इस व्यवस्था का विरोध किया है।
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पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे ने याद दिलाया कि जब देवेंद्र फडणवीस विपक्ष के नेता थे, तो उन्होंने उद्धव के कार्यकाल के दौरान पत्र लिखकर प्रभावित किसानों के लिए राहत पैकेज की मांग की थी। ठाकरे ने कहा, “मैंने तब कृषि ऋण माफी की घोषणा की थी। अब क्या मुख्यमंत्री भी वही करेंगे? अभी तक केंद्र सरकार की कोई टीम बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने नहीं पहुंची है। हम मांग करते हैं कि किसानों को ₹50,000 प्रति हेक्टेयर की राहत दी जाए।” उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अब सूखा और प्राकृतिक आपदा के मापदंडों की शब्दबाज़ी बंद करनी चाहिए और तबाह हुए परिवारों को तुरंत सहायता प्रदान करनी चाहिए।