टोरेस घोटाले का मास्टरमाइंड यूक्रेन से गिरफ्तार (सौजन्यः सोशल मीडिया)
मुंबई: “बस कुछ ही हफ्तों में रकम हो जाएगी दोगुनी!” यही सपना दिखाया गया था निवेशकों को। लेकिन हकीकत में जो हुआ, वो देश के सबसे शातिर अंतरराष्ट्रीय पोंज़ी घोटालों में से एक बन गया। जी हां, बात हो रही हैं टोरेस घोटाले की, जिसने 15 हजार से अधिक लोगों को 150 करोड़ रुपये का चूना लगा दिया। अब इस घोटाले के एक बड़े सूत्रधार को यूक्रेन में से खोज निकाला गया है। आरोपी का नाम है लुरचेंको इगोर, जो इस पूरे ठगी तंत्र का ‘फ्रंट मैन’ बताया जा रहा है।
मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने पुष्टि की है कि उसे भारत लाने की प्रत्यर्पण प्रक्रिया जोरों पर है। टोरेस नाम की योजना के तहत लोगों को यह लालच दिया गया कि यदि वे कंपनी से मोइसोनाइट नामक पत्थर खरीदते हैं, तो उन्हें हर सप्ताह 6% ब्याज मिलेगा। इसके बाद कंपनी ने एक के बाद एक आकर्षक योजनाएं पेश कीं और लोगों ने भी आंख मूंदकर विश्वास किया।
इतना ही नहीं, कई निवेशकों ने तो अपने रिश्तेदारों, मित्रों और पड़ोसियों को भी जोड़ा और देखते ही देखते कंपनी ने करोड़ों रुपये का साम्राज्य खड़ा कर लिया। लेकिन दिसंबर 2024 में जैसे ही निवेशकों को भुगतान मिलना बंद हुआ, तो उनकी नींद टूटी। 6 जनवरी को मुंबई, मीरा रोड, नवी मुंबई में हजारों निवेशक कंपनी के शोरूम के बाहर सड़कों पर उतर आए।
घोटाले की भनक लगते ही इगोर और उसके साथियों ने भारत से रफूचक्कर हो जाना ही बेहतर समझा। लेकिन मुंबई पुलिस ने इंटरपोल के ज़रिए ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया और अब जाकर मई 2025 में यूक्रेन में इगोर का सुराग लग सका। उस पर अब लगातार नजर रखी जा रही है। पुलिस के अनुसार, जैसे ही यूक्रेनी सरकार की मंजूरी मिलती है, एक विशेष टीम इगोर को भारत लाने के लिए रवाना होगी।
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इगोर अकेला नहीं है। उसके साथ इस घोटाले में शामिल हैं 8 अन्य यूक्रेनी नागरिक और एक तुर्की नागरिक। सभी के खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया जा चुका है। नाम कुछ ऐसे हैं जो आम भारतीयों के लिए बिल्कुल अजनबी लगेंगे। विक्टोरिया कोवालेंको, अलेक्जेंडर बोराविक, ओलेक्सांद्रा ट्रेडोखिब और मुस्तफा कराकोक। लेकिन इन सभी ने मिलकर देश के हजारों नागरिकों की मेहनत की कमाई को हवा कर दिया।
मार्च 2025 में आर्थिक अपराध शाखा ने इस केस में 27 हजार पन्नों का चार्जशीट दाखिल किया। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के पहलुओं पर जांच शुरू की और अलग से आरोप पत्र दायर किया। जांच में सामने आया कि टोरेस (Platinum Hern Pvt. Ltd.) का मुख्य कार्यालय मुंबई के दादर क्षेत्र में था, और इसकी शाखाएं देश के अन्य शहरों में भी फैली हुई थीं।
पुलिस अधिकारियों का मानना है कि इगोर की गिरफ्तारी से पूरे गिरोह के बारे में अहम सुराग मिल सकते हैं। भारत लाए जाने के बाद उससे पूछताछ कर और भी खुलासे हो सकते हैं, जिससे लूटी गई रकम का हिस्सा भी बरामद हो सकता है। अगर कोई कंपनी कहे “पैसा दोगुना, वो भी चुपचाप”… तो सतर्क हो जाइए क्योंकि ऐसा सपना अक्सर एक भयानक धोखे में बदल जाता है।