देविका रोटावन और तहव्वुर राणा (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: मुंबई में हुए 26/11 के आतंकवादी हमलों का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा 10 अप्रैल को भारत आ चुका है। कुछ ही देर पहले उसे लेकर आए स्पेशल विमान की दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर लैंडिंग हुई। अब तक सामने आ रही जानकारी के मुताबिक तहव्वुर राणा को पालम एयरपोर्ट से NIA गिरफ्तार करके सीधा कोर्ट ले जा रही है। इस आतंकवादी हमले में जीवित बची देविका रोतावन ने गुरुवार को कहा कि मुख्य आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा का अमेरिका से प्रत्यर्पण भारत के लिए एक बड़ी जीत है।
उन्होंने मांग की कि पाकिस्तान में छिपे अन्य साजिशकर्ताओं को भी बेनकाब किया जाए और उन्हें सजा दी जाए। देविका रोतावन, 26/11 मामले में एक प्रमुख गवाह हैं जिन्होंने मुकदमे के दौरान अदालत में आतंकवादी मोहम्मद अजमल कसाब की पहचान की थी। उन्होंने राणा (64) को मृत्युदंड देने की मांग की। मुंबई हमलों के समय देविका रोतावन की उम्र सिर्फ 9 साल थी। वह दक्षिण मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) में गोलीबारी के दौरान फंस गई थीं। उनके पैर में गोली लगी थी।
26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में अपनी गवाही के दौरान आतंकवादी अजमल कसाब की पहचान करने वाली और आतंक की शिकार बनीं देविका नटवरलाल रोटावन ने कहा,”तहव्वुर राणा को भारत लाया जाना भारत सरकार के लिए एक बड़ी जीत है। हाफिज सईद, दाऊद इब्राहिम और पाकिस्तान में मौजूद अन्य आतंकवादी सरगनाओं को भी भारत लाया जाना चाहिए और उन्हें फांसी पर लटका देना चाहिए। आज का भारत घर में घुसकर मारने वाला भारत है।”
#WATCH | Mumbai | “Tahawwur Rana being brought to India is a big victory for the Government of India. Hafiz Saeed, Dawood Ibrahim and other terrorist masterminds in Pakistan should also be brought to India and hanged till death,” says Devika Natwarlal Rotawan, terror victim and… pic.twitter.com/cFB0nZkW46
— ANI (@ANI) April 10, 2025
कसाब के मुकदमे में उनकी गवाही महत्वपूर्ण थी। कसाब को बाद में मुंबई की एक अदालत ने हमलों में उसकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया और 2012 में उसे फांसी दे दी गई। अब तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण के बारे में बात करते हुए, अब 25 वर्ष की हो गईं है। देविका रोतावन ने कहा कि वह खुश हैं कि भारत को आतंकवादी हमलों के एक साजिशकर्ता को देश में न्याय के कठघरे में लाने का मौका मिला है। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह भारत के लिए एक बड़ी जीत है और मैं इस उपलब्धि के लिए भारत सरकार को धन्यवाद देना चाहती हूं। राणा को न्याय का सामना करने के लिए भारत लाए जाने से भारत में आतंकवाद के अंत की शुरुआत हुई है।”
महाराष्ट्र की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…
उन्होंने बताया कि 26 नवंबर, 2008 को रोतावन अपने पिता और भाई के साथ पुणे जाने के लिए ट्रेन का इंतजार कर रही थीं, तभी भीड़भाड़ वाले स्टेशन पर हमला हो गया। नरसंहार की रात को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैंने एक आदमी (जिसे बाद में कसाब के रूप में पहचाना गया) को अपने हाथ में बड़ी बंदूक लेकर यात्रियों पर गोलियां चलाते देखा। मैंने कई शव और घायल यात्री देखे। मैं तब सिर्फ नौ साल की थी। मुझे नहीं पता था कि मेरी आंखों के सामने क्या हो रहा था।”
गोलीबारी में घायल होने के बाद रोतावन बेहोश हो गईं और उन्हें पहले पास के सेंट जॉर्ज अस्पताल और फिर मध्य मुंबई में सरकारी जे.जे. अस्पताल ले जाया गया, जहां उनके पैर की छह सर्जरी हुईं। उन्होंने याद किया, ‘‘मैंने कसाब को यात्रियों पर गोलियां चलाते देखा और मेरे पिता ने कसाब, अबू इस्माइल (एक और आतंकवादी जिसे सुरक्षा बलों ने मार गिराया था) दोनों को देखा। 10 जून, 2009 को हम निचली अदालत गए, जहां हमने कसाब की पहचान की।” राणा पाकिस्तान में जन्मा कनाडाई नागरिक है और आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाउद गिलानी का करीबी सहयोगी है। (एजेंसी इनपुट के साथ)