मुंबई मीरा भाईंदर (pic credit; social media)
Mira Bhayander Villages Development Plan: मीरा भाईंदर महानगरपालिका द्वारा भाईंदर पश्चिम के 6 गांवों, उत्तन, पाली, चौक, तारोडी, धावगी और तलावली के लिए तैयार की गई नई विकास योजना पर स्थानीय नागरिकों और मछुआरा समुदाय ने गंभीर आपत्तियां दर्ज कराई हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रस्तावित योजना में उनकी आजीविका, पारंपरिक मछली व्यवसाय और पर्यावरणीय संतुलन की अनदेखी की गई है।
उत्तन और आसपास के गाँव सदियों से समुद्र और मत्स्य व्यवसाय पर निर्भर हैं। नए प्रावधानों में उनके लिए भूमि आरक्षण सीमित है। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि समुद्र तटीय सरकारी जमीन मत्स्य विभाग और समुद्री बोर्ड के लिए आरक्षित की जाए, ताकि मछुआरों के लिए खुले आश्रय, मछली सुखाने की जगह और जाल बुनने के यार्ड बनाए जा सकें।
पाली और चौक जैसे गाँव बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि हर गाँव में मंडी, पार्किंग और सामुदायिक मैदान जैसी सुविधाएँ आरक्षित की जाएं, ताकि ग्रामीण आत्मनिर्भर बन सकें।
सबसे विवादास्पद निर्णय आरक्षण क्रमांक 61 में प्रस्तावित मेट्रो कार शेड है। यह पहाड़ी क्षेत्र है, जहाँ हजारों पेड़ काटने होंगे। ग्रामीणों का कहना है कि यदि परियोजना को खोपरा क्षेत्र में ले जाया जाए तो न पर्यावरण को नुकसान होगा और न किसी नागरिक को विस्थापन झेलना पड़ेगा।
आरक्षण क्रमांक 30 में प्रस्तावित कत्लखाना भी नाराजगी का कारण बना। उत्तन पहले से ही डंपिंग ग्राउंड, नसबंदी केंद्र और फायर स्टेशन जैसी परियोजनाओं का बोझ झेल रहा है। स्थानीय कहते हैं, हम शहर का कचरा ढोने के लिए नहीं बने हैं।
खामपारा-डोंगरी-तलावली के बीच प्रस्तावित सड़क परियोजना से सैकड़ों पेड़ और कृषि भूमि नष्ट हो सकती है। ग्रामीण चाहते हैं कि यह क्षेत्र हरित पट्टी के रूप में संरक्षित रखा जाए।
स्थानीय मछुआरा नेता और पूर्व नगरसेवक बर्नाड डिमेलो ने मनपा आयुक्त राधाबिनोद शर्मा को 22 सुझावों और आपत्तियों की सूची सौंप कर कहा कि वे केवल अपनी जमीन नहीं, बल्कि समुद्र, मछलियों और पीढ़ियों से चल रहे जीवन-धंधे की रक्षा कर रहे हैं।