श्मशान भूमि में लकड़ी का संकट (pic credit; social media)
Maharashtra News: विरार पूर्व के फूलपाड़ा इलाके की श्मशानभूमि में लकड़ी की भारी किल्लत ने स्थानीय नागरिकों को बड़ी समस्या में डाल दिया है। अंतिम संस्कार जैसी संवेदनशील प्रक्रिया में परिजनों को लकड़ी की अनुपलब्धता के कारण इधर-उधर भटकना पड़ रहा है।
बीते सोमवार को रंजीत सदा के दादा का अस्पताल में निधन हो गया। परिजन उनका अंतिम संस्कार करने फूलपाड़ा श्मशानभूमि पहुंचे, लेकिन वहां लकड़ी उपलब्ध नहीं थी। मजबूरन उन्हें विरार पश्चिम से लकड़ी मंगानी पड़ी, जिसके लिए तीन घंटे इंतजार करने के साथ-साथ 500 रुपये टेम्पो भाड़ा भी चुकाना पड़ा।
श्मशानभूमि कर्मचारी संजय सुर्वे ने बताया कि करीब 60 लाख रुपये का बकाया होने की वजह से पिछले 15 दिनों से लकड़ी की आपूर्ति बंद पड़ी है। इस कारण रोजाना आने वाले परिजनों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। श्मशानभूमि की हालत भी जर्जर हो चुकी है। बरसात में दीवारों से पानी रिसता है और चारों तरफ अव्यवस्था का माहौल है। कर्मचारियों का कहना है कि मनपा अधिकारियों को कई बार पत्र भेजे गए, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
मनवेलपाड़ा निवासी व टेम्पो चालक संजय केलकर ने बताया कि यह समस्या सिर्फ फूलपाड़ा तक सीमित नहीं है। मनवेलपाड़ा, चन्दनसार और कोपरी गांव की श्मशानभूमियों में भी लकड़ी उपलब्ध नहीं है। हाल ही में वे खुद लकड़ी लेने पहुंचे थे, लेकिन वहां भी निराशा ही हाथ लगी।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अंतिम संस्कार जैसे अवसर पर परिजनों को लकड़ी की तलाश में भटकना बेहद शर्मनाक और अमानवीय स्थिति है। नागरिकों ने वसई-विरार मनपा से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनकी मांग है कि श्मशानभूमियों में लकड़ी की आपूर्ति जल्द बहाल की जाए और बुनियादी सुविधाओं की कमी दूर की जाए, ताकि दुःख की घड़ी में परिवारों को और कष्ट न उठाने पड़ें।