शिवसेना प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े (सौजन्य सोशल मीडिया)
Shiv Sena Spokesperson Krishna Hegde: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ एक बार फिर देशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान किया है। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फैसले के बाद आया है, जिससे बोर्ड असंतुष्ट है। बोर्ड का दावा है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ है।
इस मुद्दे पर शिवसेना प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने कहा कि प्रदर्शन करना संवैधानिक अधिकार है, लेकिन वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता की कमी और गरीब मुसलमानों को लाभ न मिलने की समस्या पर ध्यान देना जरूरी है।
शिवसेना प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने प्रदर्शन का ऐलान किया है, यह उनका संवैधानिक हक है। लेकिन सवाल यह है कि हमारे मुस्लिम भाई-बहन वास्तव में क्या चाहते हैं। वक्फ की जमीन पर वर्षों से पारदर्शिता नहीं रही, न गरीब मुसलमानों को उसका लाभ मिला। जमीन में हेरफेर हुआ। सरकार जो कानून लाई है, वह समय की जरूरत है और मुस्लिम समाज के हित में है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कुछ सुधारों और प्रावधानों की ओर इशारा किया है, जिनका सम्मान किया जाना चाहिए। प्रदर्शन से ज्यादा सुधार और पारदर्शिता महत्वपूर्ण है।
इस बीच, पटना हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर बनाए गए एक कथित एआई-जनरेटेड वीडियो पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को इस वीडियो को तत्काल हटाने का आदेश दिया है। शिवसेना प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने इस मामले में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि यह वीडियो प्रधानमंत्री का अपमान है।
कृष्णा हेगड़े ने कहा कि कांग्रेस दिन-प्रतिदिन निचले स्तर की और गंदी राजनीति कर रही है। कांग्रेस और विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगभग डेढ़ सौ बार गालियां दीं। यह निंदनीय और अस्वीकार्य है। कांग्रेस पार्टी को तुरंत माफी मांगनी चाहिए और जिम्मेदार नेताओं के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
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वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने खजुराहो के जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की टूटी मूर्ति को ठीक करने की याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। इस पर कृष्णा हेगड़े ने कहा कि कोर्ट की टिप्पणी पर कुछ नहीं बोलेंगे, लेकिन भगवान विष्णु की प्रतिमा को सम्मान के साथ पुनःस्थापित करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि खजुराहो के मंदिर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अधीन हैं। यदि स्थानीय लोग और संबंधित विभाग मिलकर प्रतिमा को दुरुस्त करें, तो यह आस्था और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा। इससे श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान होगा और वे दर्शन कर सकेंगे।
(एजेंसी इनपुट के साथ)