महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
मुंबई: मुंबई महापालिका और स्थानीय स्वशासन संस्थाओं के आगामी चुनावों को लेकर मनसे और ठाकरे गुट के बीच गठबंधन की चर्चा तेज हो गई है। राज्य के कई हिस्सों से कार्यकर्ता एक-दूसरे से मिल रहे हैं और नेताओं के बीच भी संवाद कायम हो रहा है। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि इस गठबंधन का औपचारिक ऐलान कब हो सकता है।
इसी दौरान, ठाकरे गुट और मनसे के बीच गठबंधन की चर्चाओं के बीच, मनसे के एक वरिष्ठ नेता ने मातोश्री जाकर ठाकरे गुट में शामिल होने का निर्णय लिया। उद्धव ठाकरे ने स्वयं उनके हाथों शिवबंधन बांधकर उनका स्वागत किया।
उद्धव ठाकरे के अलावा, उनके करीबी नेता आदित्य ठाकरे, संजय राऊत एवं अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी मनसे के साथ गठबंधन के प्रति सकारात्मक रूझान दिखा रहे हैं। मनसे के कई पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता भी ठाकरे गुट के साथ जुड़ते दिखाई दे रहे हैं। दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर लगातार बातचीत और बैठकें जारी हैं।
मनसे के नेताओं संदीप देशपांडे और अविनाश जाधव ने पत्रकार वार्ता में गठबंधन के प्रति मनसे की सकारात्मकता जाहिर की। लेकिन कुछ ही देर बाद, मनसे के पदाधिकारी वैभव दळवी मातोश्री पहुंचे और अपने समर्थकों के साथ ठाकरे गुट में शामिल हो गए। माना जा रहा है कि आगामी महापालिका चुनाव के दृष्टिगत ठाकरे गुट अपनी संगठनात्मक ताकत बढ़ा रहा है और वैभव दळवी का प्रवेश उसी रणनीति का हिस्सा है।
अंधेरी पूर्व के मनसे पदाधिकारी वैभव दळवी ने अपने कई समर्थकों के साथ मातोश्री पहुंचकर उद्धव ठाकरे के हाथों शिवबंधन बांधकर शिवसेना में प्रवेश किया। वैभव दळवी पहले मनसे के पदाधिकारी थे, जिन्होंने हाल ही में शिवसेना में शामिल होने की इच्छा जताई थी।
इस अवसर पर ठाकरे गुट के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। इसके अलावा, शिंदे गुट से शिवसेना ठाकरे गुट में वापस आए सुजाता शिंगाडे ने भी मातोश्री जाकर उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। उन्होंने शिंदे गुट के कार्यशैली की कड़ी आलोचना की।
वैभव दळवी के ठाकरे गुट में शामिल होने पर मनसे नेता संदीप देशपांडे ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे को अपने पदाधिकारियों पर भरोसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि वैभव दळवी मनसे का वैध पदाधिकारी नहीं है। 2014 में उन्हें पार्टी से निष्कासित किया गया था और तब से वे न तो मनसे के बैनर तले हैं और न ही किसी पद पर हैं। इसके अतिरिक्त उनके खिलाफ 354 जैसी गंभीर धाराओं के तहत मामले भी दर्ज हैं।
संदीप देशपांडे ने कहा, “उद्धव ठाकरे को चाहिए कि वे अपने पदाधिकारियों से पूरी जानकारी लेकर ही ऐसे निर्णय लें। वैभव दळवी हमारे दल का मान्य पदाधिकारी नहीं है।” इस राजनीतिक घटनाक्रम से स्पष्ट होता है कि आगामी चुनावों के मद्देनजर शिवसेना और मनसे के बीच गठबंधन की चर्चाओं के साथ-साथ फूट और विश्वासघात की भी खबरें सामने आ रही हैं।