
बॉम्बे हाई कोर्ट (pic credit; social media)
 
    
 
    
Rohit Pawar News: रोहित पवार की कंपनी ने महाराष्ट्र सरकार के गन्ना पेराई शुल्क के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया मुंबई, 31 अक्टूबर (भाषा) राकांपा (एसपी) के विधायक रोहित पवार के नेतृत्व वाली एक कंपनी ने मुख्यमंत्री राहत कोष और दो अन्य कल्याणकारी संस्थाओं में अंशदान के लिए गन्ना पेराई पर शुल्क लगाने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए बंबई उच्च न्यायालय का रुख किया है।
न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की अवकाशकालीन पीठ ने बृहस्पतिवार को बारामती एग्रो लिमिटेड को तीनों मदों के तहत शुल्क राशि का 50 प्रतिशत तीन दिन के भीतर जमा करने का निर्देश दिया ताकि याचिका पर सुनवाई लंबित रहने तक उसके लाइसेंस पर कार्रवाई की जा सके। अदालत ने कहा कि इस बीच प्राधिकरण याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए वचन के मद्देनजर याचिकाकर्ता के लाइसेंस पर कार्रवाई करेगा।
इसने सरकार और अन्य संबंधित प्राधिकारियों को नोटिस जारी किया तथा मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर के लिए निर्धारित की। राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री राहत कोष और गोपीनाथ मुंडे गन्ना श्रमिक कल्याण निगम के लिए प्रति टन गन्ने की पेराई पर 10 रुपये तथा बाढ़ राहत कोष के लिए प्रति टन पांच रुपये लेने का निर्णय लिया है।
याचिका में चीनी आयुक्त द्वारा सभी चीनी मिलों को जारी 27 अक्टूबर के पत्र को चुनौती दी गई है जिसमें उन्हें नए पेराई सत्र 2025-26 के लिए शुल्क लगाने के 30 सितंबर को लिए गए नीतिगत निर्णय के बारे में सूचित किया गया था। पत्र के अनुसार, जब तक संबंधित राशि जमा नहीं की जाती, चीनी मिलों को पेराई सत्र 2025-26 के लिए लाइसेंस जारी नहीं किया जाएगा।
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बारामती एग्रो लिमिटेड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गिरीश गोडबोले ने अदालत से कहा कि इस तरह का सशर्त लाइसेंस जारी करना न केवल अनुचित है, बल्कि किसी कानून द्वारा समर्थित भी नहीं है। उन्होंने उच्च न्यायालय को बताया कि सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली इसी तरह की याचिकाएं अदालत की कोल्हापुर पीठ के समक्ष दायर की गई हैं।






