राज ठाकरे का पत्रकारों को झन्नाटेदार जवाब (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Raj Thackeray: उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक ही मंच पर साथ दिखने से महाराष्ट्र की सियासत में हलचल मच गई है। 5 जुलाई को आयोजित मराठी भाषा पर विजय समारोह में दोनों ठाकरे बंधु पहली बार एक साथ नजर आए, तो राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई। क्या अब मनसे और शिवसेना (उद्धव गुट) मिलकर चुनाव लड़ेंगे?
लेकिन इन चर्चाओं पर राज ठाकरे ने गुस्से में जो प्रतिक्रिया दी, उसने पत्रकारों को भी सकते में डाल दिया। जब एक रिपोर्टर ने उनसे संभावित गठबंधन पर सवाल पूछा तो राज ठाकरे का जवाब था-“क्या अब युति की चर्चा आपसे करनी है?”
राज ठाकरे ने इस पूरे मामले पर सोशल मीडिया मंच X पर लंबा पोस्ट लिखते हुए साफ किया कि 5 जुलाई का समारोह राजनीतिक नहीं था, बल्कि वह मराठी लोगों की सामूहिक जीत का प्रतीक था। उन्होंने बताया कि 14 और 15 जुलाई को इगतपुरी में मनसे का पदाधिकारी प्रशिक्षण शिविर था, जहां पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत के दौरान उन्होंने ये बात कही थी। लेकिन कुछ पत्रकारों ने इस बयान को घुमा-फिराकर तोड़-मरोड़कर पेश किया।
सस्नेह जय महाराष्ट्र, १४ आणि १५ जुलै २०२५ ला महाराष्ट्र नवनिर्माण सेनेने निवडक पदाधिकाऱ्यांसाठी इगतपुरी येथे शिबीर आयोजित करण्यात आलं होतं. त्या शिबिराच्या दरम्यान माझा पत्रकारांशी अनौपचारिक संवाद झाला. त्या दरम्यान मला ५ जुलैच्या विजयी मेळाव्याबद्दल विचारण्यात आलं. त्यावर मी… — Raj Thackeray (@RajThackeray) July 16, 2025
राज ठाकरे ने कहा कि “मैंने कहा था कि वो समारोह मराठी अस्मिता का था, राजनीति से उसका कोई लेना-देना नहीं। फिर जब एक ने पूछा, ‘तो गठबंधन का क्या?’तो मैंने हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहा कि क्या अब युति की चर्चा आपसे करनी है? लेकिन कुछ मीडिया संस्थानों ने यह बना दिया गया ‘गठबंधन पर फैसला चुनाव के पहले लिया जाएगा।’वाह री पत्रकारिता! अब कल्पनाओं से भी खबरें गढ़ी जा रही हैं?”
राज ठाकरे ने पत्रकारों पर तंज कसते हुए कहा कि आजकल कुछ रिपोर्टर और संपादक इस सोच के शिकार हो गए हैं “आज कुछ नहीं मिला, तो अफवाह फैला दो। और जो बात नहीं हुई, उसे भी किसी के मुंह में डाल दो!” उन्होंने एक प्रतिष्ठित अखबार का नाम लेकर नाराज़गी जताई कि बिना तथ्यों की पुष्टि किए इस तरह की भ्रामक खबरें प्रकाशित करना पत्रकारिता की गरिमा को ठेस पहुंचाता है।
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राज ठाकरे ने अपने अनुभव की झलक भी दी। उन्होंने लिखा: “1984 से मेरा पत्रकारिता से संबंध रहा है। हमारे घर में ही साप्ताहिक, मासिक पत्रिकाएं जन्मीं।‘मार्मिक’, ‘लोकप्रभा’, ‘लोकसत्ता’, ‘सामना’ — इन सभी में मैंने व्यंग्यचित्र बनाए हैं। इसलिए मुझे मालूम है कि अच्छी पत्रकारिता कैसी होती है और घटिया पत्रकारिता कैसी दिखती है।”
राज ठाकरे ने दो टूक कहा “अगर मुझे कोई राजनीतिक घोषणा करनी होगी, तो मैं पत्रकार वार्ता करूंगा। मेरी हर मुस्कान, हर मजाक को खबर बना देना यह न तो समझदारी है, न पत्रकारिता।” राज ठाकरे ने गठबंधन की अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया। मीडिया के एक वर्ग पर झूठी व तोड़ी-मरोड़ी गई खबरें फैलाने का आरोप लगाया। हम चुप हैं, इसका मतलब ये मत समझिए कि हमें खबर नहीं हमें सब दिख रहा है। उन्होंने पत्रकारिता में बढ़ती “मनगढ़ंत शैली” को लेकर कड़ी चेतावनी दी।