निजी मेडिकल कॉलेज में विरोध (AI Generated Photo)
EWS Reservation: सरकार ने आखिरकार निजी मेडिकल कॉलेजों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू करने का फैसला रद्द कर दिया है और इस वर्ष प्रवेश पूर्व की तरह ही होंगे। छात्रों के अभिभावकों और शिक्षा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं द्वारा तीव्र आपत्ति जताने के बाद सरकार ने इस संबंध में आधिकारिक स्पष्टीकरण दिया।
मेडिकल शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया कि सीटों में वृद्धि किए बिना ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू नहीं किया जाएगा। अभिभावकों और कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधि मंडल ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ से मिलकर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। इस चर्चा के बाद विभाग ने बुधवार को आरक्षण नीति पर नई व्याख्या दी। निजी कॉलेजों में ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने के लिए सीटों में समानुपातिक वृद्धि आवश्यक है।
बिना इस के यह नीति व्यावहारिक नहीं होगी, इसलिए बिना सीटों की वृद्धि के आरक्षण लागू नहीं होगा। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की 2019 की नीति को दोहराया है। हालांकि एक निजी मेडिकल कॉलेज के ट्रस्टी ने बताया कि जिन छात्रों की वार्षिक पारिवारिक आय 8 लाख रुपये से कम है, उन्हें सरकार की ओर से पहले से ही ईडब्ल्यूएस शुल्क-लाभ मिल रहा है जिसके तहत सरकार पिछले साल से लड़कों की कुल फीस का 50 प्रतिशत और लड़कियों की पूरी फीस का भुगतान करती है।
इस वर्ष सीईटी प्रवेश पुस्तिका में पहली बार निजी मेडिकल कॉलेजों में ईडब्यूएस आरक्षण का उल्लेख था, जबकि इससे पहले कोई आधिकारिक नोटिफिकेशन या घोषणा नहीं हुई थी जिससे अभिभावकों को बड़ा झटका लगा। ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने के दौरान सीटों की वृद्धि अनिवार्य है, ऐसा सर्वोच्च न्यायालय का फैसला है। ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू होने पर सामान्य श्रेणी की सीटें कम हो जातीं और गुणवत्ता प्रभावित होने की शिकायतें भी थीं।
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राज्य सरकार ने नासिक, धुले, नंदुरबार सहित आठ आदिवासी बहुल जिलों में जिला स्तरीय ग्रुप-सी और ग्रुप-डी संवर्ग पदों के लिए संशोधित आरक्षण और बिन्दु सूची तय की है। राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले की अध्यक्षता वाली आरक्षण उप-समिति द्वारा की गई सिफारिश के बाद यह निर्णय लिया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में एक सरकारी निर्णय जारी किया।