गिरगांव में लगा पोस्टर (सौजन्य-नवभारत)
मुंबई: पूर्व मुख्यमंत्री एव शिवसेना यूबीटी पार्टी के पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे एवं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे के साथ आने की अटकलों के कारण महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े परिवर्तन की संभावना व्यक्त की जा रही है। दोनों भाइयों एवं उनकी पार्टी के लोग इससे उत्साहित हैं और समर्थक अपने-अपने ढंग से अपनी भावना व्यक्त कर रहे हैं तथा राज-उद्धव से साथ आने की अपील कर रहे हैं।
दक्षिण मुंबई के गिरगांव इलाके में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे से एक होने की अपील करते हुए लगाया गया एक पोस्टर इन दिनों चर्चा का विषय बन गया है। पोस्टर में लिखा गया है कि महाराष्ट्र को हासिल करने का परप्रांतियों का मंसूबा पूरा होने से पहले दोनों भाई साथ आकर मराठी लोगों को बचाएं। 8 करोड़ मराठी भाषी लोग आपको आतुरता से इंतजार कर रहे हैं।
मराठी वोटों के विभाजन का खामियाजा राज और उद्धव को बार-बार भुगतना पड़ रहा है। बीते लोकसभा और विधानसभा चुनाव में यूबीटी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था। लोकसभा में यूबीटी 21 सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ 9 ही सीटों पर जीत पाई थी। तो वहीं विधानसभा चुनाव में 96 सीटों पर उम्मीदवार उतारने के बाद यूबीटी के सिर्फ 20 विधायक ही जीत दर्ज कर पाए। जबकि मनसे का एक भी उम्मीदवार नहीं जीत पाया।
इन चुनाव परिणामों से सबक लेते हुए राज ने पिछले दिनों महेश मांजरेकर के यू-ट्यूब चैनल को दिए गए साक्षात्कार में उद्धव से गठबंधन की तैयारी दर्शाई थी। जिसपर उद्धव व उनकी पार्टी की ओर से लगातार गठबंधन के लिए सकारात्मक संकेत दिए जा रहे हैं। उद्धव ने शुक्रवार को अपने निवास मातोश्री पर कहा था कि जो महाराष्ट्र की जनता के मन में है वहीं होगा। हमारे बीच जो कुछ मुद्दे हैं हम उन्हें देख रहे हैं और मैं आपकों संदेश नहीं खबर दूंगा।
तो वहीं शनिवार को उन्होंने मातोश्री से संदेश दिया है कि जो साथ में हैं उनकी वज्रमूठ बनाकर गद्दारों पर प्रहार करो। इसी तरह राज ने शनिवार को पत्रकारों में यह कहकर सनसनी फैला दी की मैं ‘मातोश्री’ जा रहा हूं। इससे दोनों भाइयों के जल्द ही साथ आने की संभावनाओं को बल मिला है।
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गठबंधन की खबरों पर मनसे नेता बाला नांदगांवकर ने कहा, “युति के संदर्भ में निर्णय लेने का पूरा अधिकार पक्ष प्रमुखों के पास है। इसलिए इस बारे में मुझे कुछ भी बोलना उचित नहीं लगता है। इंसान को कहीं भी और कभी भी नकारात्मक नहीं सोचना चाहिए। मैं हमेशा सकारात्मक सोचने वाला व्यक्ति हूं। चुनाव में पार्टी कार्यकर्ताओं और कार्यकर्ताओं को होने वाले लाभ को ध्यान में रखते हुए तर्कसंगत तरीके से सोचना जरूरी है। हर पार्टी ऐसे ही सोचती है।”