पितृपक्ष 2025 (pic credit; social medi)
Pitru Paksha 2025: पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद के लिए हर साल मनाया जाने वाला पितृ पक्ष कल 7 सितंबर से शुरू हो रहा है और 21 सितंबर तक चलेगा। इस बार की खासियत यह है कि पितृपक्ष की शुरुआत पूर्णिमा तिथि और पूर्ण चंद्रग्रहण के साथ हो रही है, जिससे इसका महत्व और बढ़ गया है।
धार्मिक मान्यता है कि इस दौरान किए गए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। पंडितों के अनुसार, श्राद्ध का सही समय दोपहर होता है। इस बार कुतुप काल सुबह 11:36 से 12:24 बजे तक रहेगा और दोपहर 1 बजे से पहले श्राद्ध करना सर्वोत्तम माना गया है।
पितृपक्ष की शुरुआत के साथ ही 16 दिनों तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होंगे। इस अवधि में पितरों को जल अर्पित करना, पिंडदान करना और ब्राह्मण को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देना शुभ माना जाता है।
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इसी बीच, 7 सितंबर की दोपहर 12:57 बजे से चंद्रग्रहण का सूतक लग जाएगा. ग्रहण रात 9:57 बजे से शुरू होकर 8 सितंबर की रात 1:26 बजे तक चलेगा। यानी यह ग्रहण कुल 3 घंटे 29 मिनट का होगा. सूतक लगते ही मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाएंगे और सामान्य पूजा-पाठ, नैवेद्य अर्पण व कथा-श्रवण वर्जित हो जाएंगे।
ज्योतिषियों का कहना है कि ग्रहण काल में किया गया मंत्रजप, ध्यान और स्तोत्र पाठ सामान्य दिनों से हजार गुना फलदायी माना जाता है। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान और दान का विशेष महत्व है। पंडित शंभूनाथ दुबे के मुताबिक, जिन परिवारों का श्राद्ध पूर्णिमा तिथि को है, उन्हें अपना देव-पितृ कार्य और ब्राह्मण भोजन दोपहर 12:57 बजे सूतक शुरू होने से पहले ही करना होगा।