रावण पुतला (pic credit; social media)
Ravana effigies in Mumbai: दशहरे के त्यौहार की तैयारियों के बीच गिरगांव चौपाटी पर 12 कारीगर रावण का विशाल पुतला बना रहे हैं। इस बार यह पुतला यूपी के ग्रेटर नोएडा, दादरी के नवाबुद्दीन और उनके परिवार द्वारा तैयार किया जा रहा है। नवाबुद्दीन ने बताया कि उनका परिवार चार पीढ़ियों से रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले बनाने का पारंपरिक काम कर रहा है।
नवाबुद्दीन के पिता फौजुद्दीन 2008 से मुंबई में रावण का पुतला बना रहे थे। दो साल से वह नहीं आ पाए, इसलिए उनकी अगली पीढ़ी यह काम संभाल रही है। नवाबुद्दीन ने कहा कि यह केवल पेशा नहीं, बल्कि एक विरासत और संस्कृति को जीवित रखने का प्रयास है।
इस साल रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों की लागत बढ़ गई है। बांस, रस्सी और कागज की कीमतों में 10% तक की बढ़ोतरी हुई है। मजदूरी बढ़ने के कारण भी खर्च बढ़ा है। एक पुतले की निर्माण लागत अब काफी ज्यादा हो गई है। नवाबुद्दीन ने बताया कि इस काम के जरिए परिवार का पालन-पोषण नहीं किया जा सकता, इसलिए वह टेलर और कारपेंटर का काम भी करते हैं।
नवाबुद्दीन ने कहा कि वह हर धर्म और संप्रदाय का सम्मान करते हैं। यह काम उनके पिता से विरासत में मिला है और वह इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाना चाहते हैं। मुंबई में श्री आदर्श रामलीला समिति उनके आने-जाने और खर्च का प्रबंध करती है, लेकिन खाने-पीने का खर्च उन्हें खुद उठाना पड़ता है।
मुंबई में इस वर्ष रावण का पुतला 50 फीट ऊंचा होगा, जबकि दिल्ली में यह 70 फीट तक होता है। मुंबई के अधिकांश रामलीला मंडलों ने सिर्फ रावण के पुतले बनाने का ऑर्डर दिया है। पुतलों का निर्माण केवल शोभा बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि दशहरे की परंपरा को जीवित रखने के लिए किया जाता है।
चार पीढ़ियों से चला आ रहा यह काम अब नई पीढ़ी के जिम्मे है। नवाबुद्दीन और उनके कारीगर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि रावण का पुतला समय पर तैयार हो और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा के दिन जलाया जा सके।