रावण (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur News: दशहरे का त्योहार अब कुछ दिनों की दूरी पर है। हर साल दशहरे के दिन रावण दहन किया जाता है। रावण दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व मनाया जाता है। रामायण के अनुसार दशहरा के दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था। इसलिए इस पर्व को विजयदशमी भी कहा जाता है। शहर में भी इस बार विजयादशमी की धूम है। नवरात्रि के दौरान हो रही बारिश से इस सांस्कृतिक परंपरा और उससे जुड़ी रोजी-रोटी दोनों पर असर पड़ सकता है। साथ ही पुतला तैयार करने वाले कलाकार मायूस भी हैं।
पहले शहर में गिने-चुने एक या दो लोग ही रावण के पुतले बनाते थे। रावण दहन भी कस्तूरचंद पार्क, रेशिमबाग, नंदनवन, राजाबाकक्षा जैसे गिने-चुने स्थानों पर ही होता था। अब इन स्थानों की संख्या में भी काफी इजाफा हो गया है। 10 से 20 फीट के रावण भी कई जगह दहन होते हैं। इतना ही नहीं, जिले में और विदर्भ के कई क्षेत्रों में शहर से रावण के पुतले लोग ले जाते हैं।
रावण के पुतले बनाने वाले गौरव आंबारे ने बताया कि वे हर साल 30 फीट के रावण के दो से तीन पुतले बनाते हैं। इस बार दो पुतलों के आर्डर अभी तक आ चुके हैं। वे 30 फीट के रावण का पुतला बनाने का 40,000 रुपये तक ले रहे हैं। मेघनाथ और कुंभकर्ण के भी पुतलों का दहन भी कुछ जगह होता है। कई लोग दशानन के मुख हमसे खरीदते हैं। शरीर का ढांचा खुद बनाते हैं।
अंबारे ने बताया कि वे 15 वर्षों से इस व्यवसाय में हैं। पुतले की ऊंचाई, डिज़ाइन और इस्तेमाल होने वाली सामग्री के आधार पर लागत बदलती है जिसमें बांस, रंगीन कागज, पटाखे,और लकड़ी का इस्तेमाल होता है। यह काम दूसरे लोग करते हैं। इनके विक्रेता और कारीगर की भी कमाई अच्छी होती है। पुतले की ऊंचाई के अनुसार बांस का उपयोग होता है। बांस को पहले छीलकर कमची में बदलना होता है।
इसकी छिलाई करने वाले एक बांस काटने के 200 रुपये तक मजदूरी है। किरण कांबले जो कि बांस से कमची तैयार करती हैं, ने बताया कि नवरात्रि शुरू होने के पहले से ही पुतला बनाने वाले उनसे संपर्क करते हैं। एक महीने पहले उनका काम शुरू हो जाता है। रावण का एक पुतला बनाने में 22 से 25 बांस का उपयोग होता है। उनको विभिन्न साइज में काटना कलाकारी है ताकि बनाने वाले कलाकार सही आकार दे सकें।
बारिश जैसा मौसम होने से नए लोग रावण दहन का आयोजन करने से आगे पीछे सोच रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता राजेश डोर्लिकर ने बताया कि पिछले कई सालों से शहर के कलाकार रावण का पुतला बनाते आ रहे हैं। ये पुतले 2 फीट से लेकर 40 फीट तक के बनाए जाते हैं। यदि कोई ग्राहक विशेष आर्डर दे तो उससे बड़े पुतले भी ये कलाकार तैयार करते हैं।
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पिछले साल इन कलाकारों को रावण का पुतला बनाने पर अच्छी खासी इनकम हुई थी। हालांकि इस बार बारिश ने कुछ किरकिरी कर दी है। इन कलाकारों का पूरा परिवार इसी काम पर निर्भर है। इस काम के अलावा बाकी महीनों में बांस से झोपड़ी, चटाई, टोकरी आदि बनाकर रोजगार चलाते हैं।