मुंबई ट्रेन ब्लास्ट के पीड़ित चिराग चितले (सोर्स: पीटीआई)
मुंबई: 2006 मुंबई लोकल ट्रेन बम ब्लास्ट में 187 लोगों की मौत हो गई वहीं 824 लोग घायल हो गए थे। पीड़ित सालों से न्याय मिलने का इंतजार कर रहे थे। आज बॉम्बे हाई कोर्ट ने इन मामले में 12 आरोपियों को बरी कर दिया। इस फैसले ने न्याय मिलने के आस लिए बैठे पीड़ितों को निराश कर दिया। फैसले के बाद पीड़ितों का दर्द सामने आया है।
मुंबई लोकल ट्रेन बम विस्फोट के दौरान घायल हुए बागवानी ठेकेदार हरीश पोवार इतने साल से शारीरिक और मानसिक तकलीफों के साथ जीते हुए न्याय मिलने का इंतजार करते रहे। लेकिन, 19 साल बाद मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा 12 आरोपियों को बरी किए जाने से विरार निवासी पोवार स्तब्ध हैं और उन्होंने इस फैसले को पीड़ितों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा करार दिया।
अब 44 वर्ष के हो चुके पोवार को 11 जुलाई 2006 का वो दिन अच्छी तरह से याद है जब विरार जाने वाली लोकल ट्रेन के प्रथम श्रेणी कोच में बम विस्फोट हुआ था। वह भी इस ट्रेन में यात्रा कर रहे थे और इस विस्फोट के दौरान घायल हो गए थे। बागवानी ठेकेदार को विस्फोट में सीने में गंभीर चोटें आई थीं।
पीड़ित हरीश पोवार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि लगभग दो दशक बाद भी विस्फोट का दृश्य मेरी आंखों के सामने बार-बार आता है। मुझे याद है कि डिब्बे के अंदर लाशें पड़ी थीं और इसकी दीवारों पर खून के छींटे थे। कुछ लोग दर्द से तड़प रहे थे, जबकि कुछ बेसुध पड़े थे।
मुंबई में सात ट्रेनों में हुए विस्फोट में 180 से अधिक लोगों की मौत के 19 साल बाद मुंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया और कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा, जिससे यह विश्वास करना कठिन है कि आरोपियों ने अपराध किया है।
यह भी पढ़ें:- सिविल इंजीनियर से कॉल सेंटर कर्मी तक…देखें मुंबई ब्लास्ट के आरोपियों की लिस्ट
मुंबई ट्रेन विस्फोट के पीड़ित चिराग चितले ने बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा मामले के सभी 12 आरोपियों को बरी करने के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मैं इस फैसले से सहमत नहीं हूं। इस मुकाम तक पहुंचने में 19 साल लग गए उस समय सरकार का सहयोग अपर्याप्त था। आज भी, मुझे हर साल इस कृत्रिम हाथ का खर्च उठाना पड़ता है। मैं बस यही उम्मीद करता हूँ कि आरोपियों को जल्द से जल्द सज़ा मिले और उन्हें मौत की सज़ा मिले।
VIDEO | 7/11 Mumbai train blast victim Chirag Chitle reacts to the Bombay High Court’s decision to acquit all 12 accused in the case. He says, “I do not agree with the verdict. It took 19 years to reach this point… The government’s support at the time was inadequate. Even… pic.twitter.com/hjpZzHjHkz — Press Trust of India (@PTI_News) July 21, 2025
हाई कोर्ट के फैसले से निराश पोवार ने तंज कसते हुए कहा कि अगर आरोपी व्यक्तियों को बरी कर दिया जाता है, तो अपने परिवार का पेट पालने के लिए काम करने घर से बाहर निकलना अपराध है…और हम अपराधी हैं।
हरीश पोवार ने कहा कि 19 साल बाद किसी को भी ऐसे फैसले की उम्मीद नहीं होगी। इस बात पर जोर देते हुए कि न्यायपालिका आम लोगों के लिए एकमात्र आशा है, पोवार ने कहा कि इस तरह के फैसले पीड़ितों के घावों पर नमक छिड़कने के समान हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)