दादर में मराठी एकीकरण समिति विरोध प्रदर्शन (pic credit; social media)
Mumbai Pigeon House Controversy: मुंबई में कबुतरखाने को लेकर रार बढ़ता जा रहा है। बुधवार को कबूतरखानों पर लगे प्रतिबंध के समर्थन और जैन समाज के विरोध में मराठी एकीकरण समिति ने दादर में प्रदर्शन किया। इसके बाद मौके पर तैनात पुलिस ने मराठी एकीकरण समिति के अध्यक्ष गोवर्धन देशमुख सहित दर्जनों प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है। समिति ने कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की अपील की है।
गोवर्धन देशमुख ने कहा कि कबूतरखानों में दाना डालने पर अदालत ने प्रतिबंध लगाया है। इस प्रतिबंध के बावजूद जैन समाज के लोग कबूतरखानों में जबरन दाना डालने का प्रयास कर रहे हैं। यह अदालत के आदेश का अपमान है, लेकिन पुलिस इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
एकीकरण समिति के कार्यकर्ताओं ने इस पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। प्रदर्शनकारी सवाल उठा रहे हैं कि पुलिस ने कबूतरखाने में तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ इतनी ही तत्परता क्यों नहीं दिखाई। देशमुख ने कहा कि उनका प्रदर्शन सिर्फ अदालत के आदेश के समर्थन में है, लेकिन इसके बाद भी पुलिस उन्हें आंदोलन नहीं करने दिया। कानूनी कार्रवाई के बाद पुलिस ने सभी को छोड़ दिया।
दादर कबूतरखाने को हमेशा के लिए बंद कर दिया जाना चाहिए। साथ ही मराठी एकीकरण समिति ने दादर कबूतरखाने पर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था, जिसमें मांग की गई थी कि कानून का सम्मान न करने वालों और पुलिस के साथ धक्का-मुक्की करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। हालांकि, इस विरोध प्रदर्शन से पहले ही पुलिस ने मराठी एकीकरण समिति के कार्यकर्ताओं को नोटिस भेज दिए थे।प्रदर्शनकारी सुबह 11 बजे के बाद इकट्ठा होने लगे, जिसके बाद पुलिस ने तुरंत प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेना शुरू कर दिया था।
स्वतंत्रता दिवस पर पशु अधिकारों के लिए आवाज उठाने हेतु शुक्रवार को आजाद मैदान में एक मौन मार्च का आयोजन किया गया है। यह मार्च कबूतरखानों को लेकर चल रहे विवाद और आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में निकाला जाएगा। पशु प्रेमी रेशमा शेलतकर ने बताया कि यह मार्च पूरी तरह से शांतिपूर्ण होगा। मार्च उद्देश्य जानवरों के साथ अन्याय करने वाले फैसलों का विरोध और जानवरों की सुरक्षा के लिए सख्त कानूनों की मांग करना है। मौन मार्च के दौरान हाथों में तख्तियां लेकर यह संदेश देंगे कि जानवरों को भी जीने का अधिकार है, आवारा जानवरों का पुनर्वास करें। नागरिकों को जानवरों के कल्याण के प्रति जागरूक करने पर जोर दिया जाएगा।
बताया जाता है कि जैन समाज के लोग हाईकोर्ट के फैसले के बाद अपनी रणनीति बनाने के बारे में फैसला लेने वाले है। सूत्रों के अनुसार जैन मुनियों की बैठक में तय किया जाएगा कि कबूतरों को लेकर अगला कदम क्या होगा? बताया जा रहा है कि कोर्ट का सम्मान करते हुए सरकार से कबूतरों के लिए स्थाई स्थान देने की मांग भी उठ सकती है।