सह-पालकमंत्री मंगल प्रताप लोढ़ा (सौ. सोशल मीडिया X )
Land Mafia In Mumbai: सरकारी जमीनों पर बढ़ते अवैध कब्जों के मद्देनजर मुंबई में खुली जगहों का भारी अभाव हो गया है। हजारों एकड़ सरकारी जमीनों पर झोपड़पट्टी और भू-माफियाओं ने अतिक्रमण कर रखा है। सरकारी जमीनों पर अनियंत्रित अवैध अतिक्रमण एक गंभीर सामाजिक और प्रशासनिक चुनौती बन चुका है।
खुली जगह की कमी के कारण नागरिकों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। दुनिया के सबसे घने शहरों में शुमार मुंबई में हरित क्षेत्रों और सार्वजनिक स्थलों की भारी कमी की समस्या को दूर करने के लिए राज्य सरकार की ओर से मुंबई उपनगर के सह-पालकमंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा एक बड़ी पहल की घोषणा की है।
मंत्री लोढ़ा ने बुधवार को कहा कि सरकार मुंबई उपनगर की 500 एकड़ अतिक्रमित सरकारी जमीन को अवैध कब्जों से मुक्त कराएगी और इसे मुंबई के नागरिकों के लिए समर्पित किया जाएगा।
यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य अगले एक वर्ष के भीतर हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। मंत्री लोढ़ा ने बांद्रा स्थित उप नगरीय जिलाधिकारी कार्यालय में आयोजित एक उच्च-स्तरीय बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि प्रथम दृष्टया में ऐसा लगता है कि मुंबई शहर और आस-पास के इलाकों में महाराष्ट्र सरकार की करीब 27,900 हजार एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा है।
अतिक्रमणमुक्त मुंबईसाठी एक महत्त्वाचे पाऊल मुंबई शहर आणि उपनगरातील हजारो एकर सरकारी जमिनींवर अतिक्रमण झालेले आहे. हा पॅटर्न रोखायलाच हवा आणि आपली शहरं वाचवायलाच हवीत. त्यासाठीच मुंबई उपनगर जिल्ह्याचा सहपालकमंत्री या नात्याने पुढील वर्षात मुंबईतील ५०० एकर सरकारी जमिनी… pic.twitter.com/luZuVgqJrU — Mangal Prabhat Lodha (@MPLodha) November 26, 2025
केंद्र सरकार की 7 हजार एकड़ जमीन पर भी कब्जा है, तो वहीं लगभग 10000 एकड़ खाली भूखंड (मैंग्रोव्स, मैदान आदि) अभी भी मौजूद हैं। इनमें से बड़ी मात्रा में जमीन अतिक्रमण होने की वजह से प्रशासन को मुंबईकरों को मूलभूत सुविधाएं देने में बहुत परेशानी हो रही है।
उन्होंने आगे कहा कि इसलिए अब खाली पड़ी जमीनों को बचाना जरूरी हो गया है। अतः प्रशासन को सबसे पहले मुंबई में 500 एकड़ खाली जमीनों पर ध्यान देना होगा। इसके लिए प्रशासन 2011 के बाद बने अतिक्रमणों को हटाने की कार्रवाई करेगा।
बाद में खाली कराई गई जमीन चैरिटेबल और सामाजिक संगठनों के माध्यम जनता के लिए उपयोग में लाई जाएगी। इससे न सिर्फ शहर की कीमती खाली जमीनें सुरक्षित रहेंगी, बल्कि आम जनता को उनका सीधा लाभ भी मिलेगा, जिसकी मुंबई में बहुत लंबे समय से कमी महसूस की जा रही थी।
सरकार की पहल की एक झलक मालाड़-मालवणी क्षेत्र में पहले से ही शुरू की गई कार्रवाई में देखने को मिल रही है। यहां पहले चरण में अब तक 9,000 वर्ग मीटर (लगभग 2।2 एकड़) जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने में सफलता मिली है।
कार्रवाई के दौरान पता चला कि इस इलाके में कुल 28 आंगनबाड़ी केंद्रों पर कब्जा कर लिया गया था, वहां बच्चों के पोषण आहार और शिक्षा के केंद्र की बजाय भांस, पान आदि की दुकाने और अन्य अवैध व्यवसाय किए जा रहे थे।
इस मामले में कड़ी कार्रवाई तथा कब्जा करने वालों के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए है। खाली कराई गई जमीन पर दोबारा अतिक्रमण न हो, इसकी जिम्मेदारी संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को दी गई है। जिल्हाधिकारी सौरभ कटियार को इन जमीनों का दुरंत विधिक कब्जे में लेने के भी निर्देश दिए गए है।
अतिक्रमण मुंबई सहित देश की डेमोग्राफी और सुरक्षा के लिए घातक हो सकता है, इस पर जोर देते हुए मंत्री लोढ़ा ने कहा कि मालाड के मालवणी पैटर्न के जरिए सबसे गंभीर और चिंताजनक पहलू अवैध रूप से बस चुके बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्या लोगों से जुड़ा सामने आया।
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एक स्थानीय विधायक के संरक्षण में यह सब हो रहा है। इन घुसपैठियों ने अवैध आधार कार्ड और राशन कार्ड का उपयोग करके मतदाता सूची में भी अपना नाम दर्ज करा लिया है। क्षेत्र में पिछले एक दशक में दौगुना से अधिक हुई मतदाताओं की संख्या इसका प्रमाण है। यह स्थिति न सिर्फ कानून-व्यवस्था, बल्कि शहर और देश की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है। इस पर तुरंत और कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
– मुंबई से नवभारत लाइव के लिए जितेंद्र मल्लाह की रिपोर्ट