
प्रतीकात्मक तस्वीर (AI Generated)
Mumbai Fake Call Center News: मुंबई क्राइम ब्रांच की यूनिट-9 ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय टेलीमार्केटिंग ड्रग फ्रॉड रैकेट का पर्दाफाश किया है। जोगेश्वरी (वेस्ट) में स्थित एक फर्जी कॉल सेंटर पर कार्रवाई करते हुए 8 आरोपियों को पकड़ा गया है। ये लोग अमेरिकी नागरिकों को नकली वियाग्रा और अन्य दवाएं बेचकर ठगी करते थे.
फर्जी कॉल सेंटर का संचालन और ठगी का तरीका क्राइम ब्रांच को सूचना मिली थी कि जोगेश्वरी (वेस्ट) के केवनीपाड़ा, एसवी रोड, अंबोली इलाके में एक कॉल सेंटर ‘टीम ग्रैंड 9 सिक्योरिटी सर्विसेज एलएलपी’ नाम से चलाया जा रहा है।
इस कॉल सेंटर के कर्मचारी अमेरिकी लहजे में बात करते थे और खुद को अमेरिका की दवा कंपनियों का प्रतिनिधि बताते हुए विदेशी नागरिकों को निशाना बनाते थे। वे टेलीमार्केटिंग के जरिए संपर्क करके उन्हें नकली वियाग्रा और अन्य दवाएं बेचकर ठगी करते थे। शुरुआती जांच में पता चला है कि यह फर्जी कॉल सेंटर पिछले छह से सात महीनों से सक्रिय था और इसने बड़ी संख्या में विदेशी नागरिकों को अपना शिकार बनाया है।
इस मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने मौके से 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान मोहम्मद आमिर इकबाल शेख (40), माहिर इकबाल पटेल (26), मोहम्मद शबीब मोहम्मद खलील शेख (26), मोहम्मद अयाज परवेज शेख (26), आदम एहसानुल्लाह शेख (32), आर्यन मुशफ्फिर कुरैशी (19), अमान अजीज अहमद शेख (19) और हश्मत जामिल जरीवाला (29) के रूप में हुई है।
सभी आठों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 10 दिसंबर तक पुलिस कस्टडी में भेजा गया है ताकि मामले की गहराई से जांच की जा सके। हालांकि, इस गिरोह का मुख्य आरोपी मुजफ्फर शेख (43) अपने साथी आमिर मणियार और कुछ अन्य के साथ अभी फरार है, जिनकी तलाश में क्राइम ब्रांच की टीमें जुटी हुई हैं।
यह भी पढ़ें:- 1 साल में फडणवीस सरकार का प्रदर्शन कैसा? सर्वे रिपोर्ट में खुला भ्रष्टाचार से लेकर इंफ्रा तक का सच
डिजिटल उपकरणों की फोरेंसिक जांच होगी छापेमारी के दौरान पुलिस ने मौके से कई लैपटॉप, हेडसेट, पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क और अन्य डिजिटल उपकरण जब्त किए हैं। अधिकारियों को संदेह है कि इस कॉल सेंटर द्वारा अमेरिकी नागरिकों का निजी डेटा भी अवैध तरीके से प्राप्त किया गया था। जब्त किए गए सभी डिजिटल उपकरणों की विस्तृत फॉरेंसिक जांच की जाएगी।
यह जांच यह पता लगाने के लिए जरूरी है कि अब तक कितने लोगों को ठगा गया है, कुल कितना वित्तीय नुकसान हुआ है, और डेटा चोरी की कितनी बड़ी घटना को अंजाम दिया गया है। क्राइम ब्रांच यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इस गिरोह के तार देश के अन्य राज्यों या विदेशों में भी फैले हुए हैं।






