तीन लाख से अधिक वारकारी पहुंचे पंढरपुर। (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: आषाढ़ी एकादशी तीर्थ यात्रा का समारोह केवल दो दिनों ही बचा है। इसके चलते पंढरपुर आने वाले श्रद्धालुओं (वारकरियों) की भीड़ बढ़ने लगी है। रविवार को तीन लाख से अधिक श्रद्धालु पंढरपुर में प्रवेश कर चुके हैं और श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती ही जा रही है। विट्ठल-रुक्मिणी पादस्पर्शन की दर्शन कतार गोपालपुर रोड पर पत्रा शेड तक पहुंच चुकी हैं।
पंढरपुर में श्रद्धा और भक्ति का दौर शुरू हो चुका है। चूंकि 17 जुलाई को आषाढ़ी एकादशी है, इसलिए भक्त विथुरया के दर्शन के लिए पंढरपुर में आ रहे हैं। इसके अलावा संतों की पालखी में शामिल भक्तों की भीड़ दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। श्रद्धालु चंद्रभागा में स्नान के बाद दर्शन के लिए कतार में लगे हुए हैं। आषाढ़ी के अवसर पर पंढरपुर में श्रद्धालुओं द्वारा विठ्ठल नाम का जाप किया जा रहा हैं। मुंबई से भी पंढरपुर में विट्ठल भगवान का दर्शन करने के लिए भक्तों को जाने का सिलसिला जारी है और लाखों लोग पंढरपुर पहुंच चुके हैं।
पूरे राज्यभर से लोग दिंडियां लेकर पंढरपुर की ओर बढ़ रहे है। इस यात्रा में लगभग 12 से 15 लाख श्रद्धालु शामिल होते है। आषाढी यात्रा के दौरान भक्तों को मंदिर समिति द्वारा आवश्यक और मूल सुविधाएं प्रदान की गई है। इसमें बैरिकेडिंग कर दर्शन लाइन पर पत्रे का शेड, परिसर में अतिरिक्त शेड निर्माण, आपातकालीन गेट, विश्राम रूम, फैब्रिकेटेड शौचालय, बैठने की सुविधा, लाइव दर्शन, कूलर-पंखे, मिनरल वाटर, चाय का वितरण किया जा रहा है। यह जानकारी अध्यक्ष गहिनीनाथ महाराज औसेकर ने दी। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस साल पहली बार लाइव दर्शन के लिए एलईडी वैन की व्यवस्था की गई है।
दर्शन लाइन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु होते हैं, इन भक्तों को जल्द से जल्द दर्शन दिलाने के लिए दर्शन कतार को तेजी से आगे बढ़ाने की आवश्यकता को ध्यान में रखकर पर्यवेक्षक की नियुक्ति की गई है। परंपरा के अनुसार श्री की शय्या हटाकर प्रतिदिन 24 घंटे मुख दर्शन और 22 घंटे चरण दर्शन मिलते हैं। इसके साथ ही यात्रा के दौरान श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर की संबंधित प्रथा व परंपरा का सावधानी से पालन किया जा रहा है। श्री विट्ठल के शय्या निकालना, एकादशी को सभी पूजा, महानैवेद्य, संतों की भेट, श्री की पादुका की शोभायात्रा, महाद्वार काला, प्रक्षाल पूजा की विधिवत योजना बनाई गई है।
आषाढ़ी वारी का बेसब्री से इंतजार कर रहे वारकरी मंडलियों का उत्साह अब दोगुना हो गया है। लगभग 15 से 20 दिनों तक पंढरपुर की ओर चलने वाली पालखियां अब आषाढ़ी यात्रा के लिए पंढरपुर पहुंचने लगी हैं। इसमें कौंडण्यपुर से रुक्मिणी की माता की सम्मान पालखी रविवार को पंढरपुर पहुंची है। वारकरियों ने ताल-मृदंग की ध्वनि के साथ विट्ठल और रुक्मिणी माता का आह्वान करते हुए प्रवेश किया है। इसके साथ ही पूज्य संत मुक्ताई की पालखी भी रविवार को पंढरपुर आ गई है। यह पालखी जलगांव जिले के मुक्ताईनगर से 35 दिन की यात्रा के बाद पहुंची है। पालखी अब पूर्णिमा तक पंढरपुर में रहेगी और 16 जुलाई को पालखी भाइयों से मिलने वाखरी जाएगी।