
बंबई उच्च न्यायालय (सोर्स: सोशल मीडिया)
Mumbai News In Hindi: बॉम्बे हाई कोर्ट में मराठा आरक्षण को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं ने रिटायर्ड जस्टिस सुनील शुक्रे के बैकवर्ड क्लासेस कमीशन की रिपोर्ट पर सवाल उठाया है।
कोर्ट की स्पेशल बेंच में गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने सवाल उठाया कि यदि कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार मराठा समुदाय पिछड़ा हुआ है तो ओपन कैटेगरी में कौन हैं? आखिरकार समय के अभाव में अदालत ने याचिका पर सुनवाई 17 जनवरी 2026 तक के लिए टाल दी है।
मराठा समुदाय डाको सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए 2024 में बने कानून की वैलिडिटी को हाई कोर्ट में चैलेंज किया गया है। इसके अलावा आरक्षण के समर्थन और विरोध में इंटरवेंशन पिटीशन भी फाइल की गई हैं।
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इस पिटीशन पर जस्टिस रवींद्र घुगे, जस्टिस संदीप मारणे और जस्टिस निजामुद्दीन जमादार की स्पेशल फुल बेच के सामने सुनवाई चल रही है। सुनवाई के दौरान आरक्षण के विरोध में याचिका दायर करने वालों का पक्ष रखते हुए वकील अंतुरकर ने तर्क दिया कि आरक्षण का सपोर्ट समाज के उन कमजोर तबकों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए किया गया था, जिनके सिर पर छत नहीं है। जिन्हें दी वक्त की रोटी नहीं मिलती, जो शिक्षा से दूर है। मराठा कभी पिछड़े नहीं थे। जस्टिस शुळे कमीशन ने फिर भी मराठों को पिछड़ा दिखाने की कोशिश की।






