वकील गुणरत्न सदावर्ते (pic credit; social media)
Maharashtra News: मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई। इस दौरान वादी पक्ष के वकील गुणरत्न सदावर्ते ने दावा किया कि यह आंदोलन केवल इसलिए किया जा रहा है क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री मराठा समुदाय से नहीं हैं। सदावर्ते ने कहा कि आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ने आमरण अनशन की कोई आधिकारिक अनुमति नहीं ली थी, इसके बावजूद उन्होंने आंदोलन शुरू कर दिया।
सदावर्ते ने 29 अगस्त को आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी और मांग की थी कि जरांगे के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। उन्होंने दलील दी कि आंदोलन को राजनीतिक रूप से भड़काने की कोशिश हो रही है, जबकि कानून व्यवस्था बनाए रखना सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है।
इधर, मुंबई में चल रहे मराठा आरक्षण आंदोलन का असर लोकल और लंबी दूरी की ट्रेनों की सुरक्षा पर भी देखा जा रहा है। छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) पर मध्य रेलवे ने सुरक्षा और सफाई के कड़े इंतजाम किए हैं।
मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी स्वप्निल नीला ने बताया कि सीएसएमटी पर लगभग 350 कर्मचारियों को तैनात किया गया है। इनमें से करीब 240 सुरक्षा बलों से जुड़े हैं, जिनमें रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और राज्य रेलवे पुलिस (जीआरपी) शामिल हैं, जबकि 94 कर्मचारी महाराष्ट्र सुरक्षा बल से हैं। इसके अलावा, 200 से ज्यादा सफाई कर्मचारियों को स्टेशन की स्वच्छता बनाए रखने के लिए लगाया गया है।
नीला ने कहा कि रेलवे यह सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान यात्रियों को किसी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े। यात्रियों से भी अपील की गई है कि वे संयम और सावधानी बरतें।
हाईकोर्ट की सुनवाई और रेलवे की तैयारियों से साफ है कि मराठा आरक्षण आंदोलन अब सिर्फ राजनीतिक और सामाजिक बहस तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर रोजमर्रा की जिंदगी और यात्रियों की सुरक्षा पर भी पड़ रहा है।