प्रतीकात्मक तस्वीर (AI Generated)
Maharashtra Divyang Reservation: दिव्यांग व्यक्तियों को सरकारी और अर्ध-सरकारी सेवाओं में नियुक्ति और पदोन्नति में 4% आरक्षण का कानूनी अधिकार प्रभावी ढंग से मिल सके, इसके लिए पद सुनिश्चित करने की प्रक्रिया हेतु एक समान कार्यप्रणाली तैयार की गई है। इस प्रक्रिया को और अधिक वैज्ञानिक और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से विशेषज्ञ समिति का पुनर्गठन किया गया है।
दिव्यांग कल्याण विभाग के सचिव तुकाराम मुंढे ने बताया कि इस निर्णय से राज्य के लाखों दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए रोजगार और सभी स्तरों पर समान अवसर सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
सचिव मुंढे ने आगे कहा कि दिव्यांग व्यक्ति अधिकार अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। अब सरकारी, अर्ध-सरकारी संस्थाओं, स्थानीय स्वशासन निकायों और स्वायत्त संस्थाओं/निगमों के लिए मंजूर पदों का गहनता से आकलन करना अनिवार्य होगा, ताकि यह पहचाना जा सके कि दिव्यांग व्यक्ति किन पदों पर कुशलता से कार्य कर सकते हैं।
प्रत्येक मंत्रालयीन विभाग इस हेतु विशेषज्ञों को शामिल कर एक समिति बनाएगा। इस समिति में विभिन्न श्रेणियों जैसे अंध-अल्पदृष्टि, श्रवण दोष, अस्थिव्यंगता, स्वमग्नता, विशिष्ट शिक्षण अक्षमता और मानसिक बीमारी के कम से कम एक विशेषज्ञ का होना अनिवार्य होगा।
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समिति की अध्यक्षता उस विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव या सचिव करेंगे। समिति सहायक प्रौद्योगिकी के विकास और वैश्विक रोजगार मानकों को ध्यान में रखते हुए पदों की योग्यता का परीक्षण करेगी। मुंढे ने यह भी बताया कि दिव्यांगों के लिए अनुपयुक्त पदों पर दी जाने वाली छूट अधिकतम तीन साल के लिए ही वैध रहेगी, जिसके बाद उसकी समीक्षा अनिवार्य होगी।
प्रत्येक विभाग को हर साल 1 जनवरी को पद सुनिश्चित करने की अपडेटेड स्थिति अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करनी होगी और इसकी प्रति दिव्यांग कल्याण आयुक्त तथा दिव्यांग कल्याण विभाग को सौंपनी होगी। इस संबंध में दिव्यांग कल्याण विभाग ने सरकारी आदेश (जीआर) जारी कर दिया है, जो महाराष्ट्र सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध है।