उद्धव ठाकरे (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: राज्य में नई शिक्षा नीति के तहत त्रिभाषा सूत्र के माध्यम से हिंदी भाषा को अनिवार्य किए जाने के प्रयासों के विरोध में शिवसेना यूबीटी ने आक्रमक भूमिका अपनाई है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर भाषाई आपातकाल थोपने का आरोप लगाते हुए कहा कि हमारा विरोध हिंदी से नहीं, बल्कि हिंदी थोपने की मानसिकता से हैं। ठाकरे ने कहा कि हमारे देश की रचना भाषाओं के आधार पर हुई है।
उद्धव ठाकरे ने कहा जब मैं मुख्यमंत्री था, तब मराठी भाषा को बढ़ावा देने के लिए मैंने कई योजनाएं शुरू की थीं, लेकिन मौजूदा सरकार ने न तो उन योजनाओं को आगे बढ़ाया और न ही कोई नई पहल की। उलटा, मराठी रंगभूमि के लिए प्रस्तावित दालन को रद्द कर उस जमीन को बिल्डरों को सौंप दिया गया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के वक्तव्य पर उद्धव ने पलटवार करते हुए कहा कि इस तरह के दिखावटी संवाद से काम नहीं चलेगा। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह एकाधिकारशाही की ओर बढ़ रही है और अब भाषा के नाम पर सत्ता का दमन किया जा रहा है।
उद्धव ने स्पष्ट किया कि सरकार को छोटे बच्चों पर हिंदी थोपने की इजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हिंदी न जानने से किसी का नुकसान नहीं हुआ। यह केवल भाजपा का छिपा हुआ एजेंडा है जो मराठी भाषा और अस्मिता को खत्म करने की दिशा में बढ़ रहा है।
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उद्धव ने कहा कि जब तक हिंदी की अनिवार्यता का निर्णय वापस नहीं लिया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने सभी मराठी भाषी नागरिकों, कलाकारों, साहित्यकारों, खिलाड़ियों और वकीलों से अपील की कि पक्षीय भेदभाव भुलाकर इस आंदोलन में शामिल हों। उन्होंने भाजपा के मराठी समर्थकों को भी इस विरोध में साथ आने का आमंत्रण देते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि हम मराठी अस्मिता के लिए एकजुट होकर लड़ें।