प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: AI)
Kisan Pehchan Patra Yojana: पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के रूप में 5 और राज्य केंद्र सरकार की किसानों को विशिष्ट पहचान पत्र उपलब्ध कराने की योजना में शामिल होंगे। 14 राज्यों ने अब तक 7.2 करोड़ से अधिक ऐसे चल पत्र उपलब्ध कराए है, जिन्हें किसान पहचान पत्र भी कहा जाता है।
वित वर्ष 2026 के अंत तक 9 करोड़ ऐसे पहचान पत्र जारी कर अगले एक वर्ष में 11 करोड़ का आंकड़ा छूने का लक्ष्य है। इससे नीति निर्माताओं के लिए किसानों की जनसांख्यिकीय प्रोफाइल, भूमि जोत और फसल पैटर्न को समाना आसान हो जाएगा। इस सुविधा से राज्यों को लक्षित योजनाएं तैयार करने में भी सहायता मिलने की उम्मीद है।
उत्तर प्रदेश (1.47 करोड़), महाराष्ट्र (1.18 करोड़), मध्य प्रदेश (91 लाख), राजस्थान (78 लाख), गुजरात (57 लाख, आंध्र प्रदेश (45 लाख), तमिलनाडु (31 लाख) और तेलंगाना (31 लाख) किसान पहचान पत्र जारी करने में सबसे आगे है।
पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के रूप में 5 और राज्य केंद्र सरकार की किसानों को विशिष्ट पहचान पत्र उपलब्ध कराने की योजना में शामिल होंगे। 14 राज्यों ने अब तक 7.2 करोड़ से अधिक ऐसे चल पत्र उपलब्ध कराए है, जिन्हें किसान पहचान पत्र भी कहा जाता है।
लक्ष्य वित वर्ष 2026 के अंत तक करोड़ ऐसे पहचान पत्र जारी कर अगले एक वर्ष में 11 करोड़ का आंकड़ा छूना है। इससे नीति निर्माताओं के लिए किसानों की जनसांख्यिकीय प्रोफाइल, भूमि जोत और फसल पैटर्न को समाना आसान हो जाएगा। इस सुविधा से राज्यों को लक्षित योजनाएं तैयार करने में भी सहायता मिलने की उम्मीद है।
एग्रीस्टैक के अंतर्गत डेटा भू-संदर्भित ग्राम मानचित्र, बोई गई फसल की रजिस्ट्री और किसानों की रजिस्ट्री आईडी के आधार बनाए जा रहे हैं, जबकि 30 राज्य सैद्धांतिक रूप से इन डिजिटल उपकरणों को बनाने पर सहमत हो गए हैं। फसल उत्पादन अनुमान के लिए 2025-26 के खरीफ सीजन में 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में डीसीएस का संचालन किया जा रहा है।
यह भी पढ़ें:- RSS में थे फिर भी कांग्रेसी के लिए बनाते थे खाना, वो नेता जिसने सत्ता छोड़ बदली गांवों की दास्तान
देश भर में इसे संचालित करने के लिए और अधिक राज्यों को शामिल करने की आवश्यकता है। पश्चिम बंगाल और कुछ केंद्र शासित प्रदेशों को छोड़ कर अन्य ने समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं या एग्री-स्टैक लागू किया है।
किसानों की डिजिटल पहचान आईडी बनाने और डिजिटल फसल सर्वेक्षण (डीसीएस) में प्रगति के साथ सरकार ने इन आंकड़ों का उपयोग कई प्रकार की सेवाएं प्रदान करने के लिए करना शुरू कर दिया है। मसलन पीएम किसान के तहत प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण, डिजिटल कृषि ऋण, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत लाभ और मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करना।
अब तक उत्तर प्रदेश में 1.47 करोड़, महाराष्ट्र में 1.18 करोड़, मध्य प्रदेश में 91 लाख, राजस्थान में 78 लाख, गुजरात में 57 लाख, आंध्र प्रदेश में 45 लाख, तमिलनाडु में 31 लाख और तेलंगाना में 31 लाख किसान पहचान पत्र जारी किए गए है।
एसपी-स्टैंक के तहत 2025-26 में सरकार ने कानूनी उत्तराधिकारी प्रणालियों सहित किसान रजिस्ट्री विकसित करने के लिए 4,000 करोड़ और डिजिटल फसल सर्वेक्षण (डीसीएस) के संचालन के लिए 2,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जिसका उद्देश्य राज्यों को डिजिटल उपकरणों को अपनाने में तेजी लाने के लिए प्रोत्साहित करना है।