जरांगे ने मराठों को आरक्षण मिलने का जताया भरोसा (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Chhatrapati Sambhajinagar: मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने बुधवार को कहा कि मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को अब आरक्षण मिलेगा जबकि ओबीसी नेताओं ने सरकार के फैसले पर नाखुशी जताई और आंदोलन की चेतावनी दी। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के एक प्रमुख नेता व महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में शामिल नहीं हुए, जिससे यह संकेत मिलता है कि सब कुछ ठीक नहीं है। जरांगे ने छत्रपति संभाजीनगर के एक अस्पताल से पत्रकारों से कहा, “हमने जीत हासिल की है और इसका श्रेय मराठा समुदाय को जाता है। मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र के मराठा लोगों को अब आरक्षण मिलेगा।” उन्होंने अपने समर्थकों से शांति बनाए रखने और उनके फैसले पर भरोसा रखने की अपील की।
मुंबई में अपनी भूख हड़ताल समाप्त करके लौटे 43 वर्षीय कार्यकर्ता शरीर में पानी की कमी और निम्न रक्त शर्करा के कारण यहां एक निजी अस्पताल में चिकित्सकों की निगरानी में हैं। जरांगे ने कहा, “राज्य सरकार ने अब तक हमारे पक्ष में एक भी पंक्ति नहीं लिखी है। लोगों को ‘जोकर टाइप’ लोगों (जिन्होंने उनके कदम की आलोचना की है) पर विश्वास नहीं करना चाहिए। इस फैसले के खिलाफ बोलने वालों ने मराठा समुदाय के लिए कुछ नहीं किया है।”मुंबई उच्च न्यायालय ने हालांकि कार्यकर्ता से उनके पांच दिवसीय आंदोलन का विरोध करने वाली याचिकाओं में लगाए गए आरोपों पर जवाब मांगा है, जिसमें कहा गया है कि मुंबई में संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया गया।
जरांगे द्वारा अनशन समाप्त करने के बाद नगर निगम के कर्मचारियों ने दक्षिण मुंबई में सड़कों और आजाद मैदान में पड़े कूड़े के ढेर, खाद्य पदार्थों और पानी की बोतलों को हटाने के लिए रात भर काम किया। बृहन्मुंबई महानगर पालिका ने कहा कि पांच दिन तक चले मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान आजाद मैदान और आसपास के इलाकों से 125 मीट्रिक टन से अधिक कचरा उठाया गया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने मराठा समुदाय के हित में समाधान ढूंढ लिया है। सरकार द्वारा पात्र मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र प्रदान करने सहित उनकी अधिकांश मांगों को स्वीकार करने के बाद जरांगे ने विरोध प्रदर्शन वापस ले लिया। सरकार के इस कदम से मराठा ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण लाभ के पात्र हो जाएंगे।
सरकार ने मराठा समुदाय के सदस्यों को उनकी कुनबी विरासत के ऐतिहासिक साक्ष्य के साथ कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक समिति गठित करने की घोषणा की है। मराठा समुदाय को राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। कुनबी राज्य का एक पारंपरिक कृषक समुदाय है और उन्हें नौकरियों और शिक्षा में सरकारी आरक्षण के लिए पात्र बनाने के वास्ते महाराष्ट्र में ओबीसी श्रेणी की सूची में शामिल किया गया है। सामाजिक न्याय एवं विशेष सहायता विभाग द्वारा जारी सरकारी आदेश (जीआर) में हैदराबाद गजेटियर को लागू करने का भी उल्लेख किया गया है। जरांगे ने कहा कि उनके समुदाय के लोग अंततः आंदोलन वापस लेने के उनके फैसले को समझेंगे।
उन्होंने कहा, “मराठवाड़ा क्षेत्र में किसी भी मराठा को आरक्षण से वंचित नहीं रखा जाएगा।” उन्होंने कहा कि मराठों को अपनी कुनबी वंशावली स्थापित करने में मदद करने के लिए ग्राम-स्तरीय समितियां बनाई जाएंगी। उन्होंने कहा, “समुदाय खुश है, मैं खुश हूं।”भुजबल के मंत्रिमंडल की बैठक में शामिल न होने के बारे में पूछे जाने पर, जरांगे ने कहा, “इसका मतलब है कि वह एक चतुर नेता हैं। इसका मतलब यह भी है कि मराठा समुदाय आरक्षण पाने में सफल रहा है।”जरांगे ने यह भी दावा किया कि मामले को अदालत में ले जाने के प्रयास विफल हो जाएंगे क्योंकि “जीआर को चुनौती नहीं दी जा सकती”। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कार्यकर्ता लक्ष्मण हाके ने दावा किया कि महाराष्ट्र सरकार को मराठों को ‘कुनबी’ जाति प्रमाण पत्र प्रदान करने की मांग स्वीकार करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी है कि ओबीसी समुदाय इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतरेगा।
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उन्होंने कहा कि नेताओं को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण को कम करना चाहते हैं। जरांगे ने बुधवार को उच्च न्यायालय को बताया कि मुद्दा सुलझ जाने के बाद मराठा आरक्षण आंदोलन वापस ले लिया गया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति आरती साठे की पीठ ने प्रतिवेदन स्वीकार कर लिया, लेकिन कहा कि कार्यकर्ता को मुंबई में उनके और उनके समर्थकों द्वारा आयोजित पांच दिवसीय विरोध प्रदर्शन के खिलाफ याचिकाओं में लगाए गए विभिन्न अन्य आरोपों के जवाब में अपना हलफनामा दाखिल करना होगा। पीठ ने पूछा, “कुछ मुद्दे हैं। सार्वजनिक संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया गया। इसकी भरपाई कौन करेगा?”
हालांकि, जरांगे और आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संगठनों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता सतीश मानशिंदे और वी.एम. थोरात ने कहा कि आम आदमी को असुविधा के अलावा कोई नुकसान नहीं हुआ है। पीठ ने कहा कि जरांगे और संगठनों को अपना रुख स्पष्ट करते हुए हलफनामा दाखिल करना होगा। मराठा आरक्षण के संबंध में अदालतों में याचिकाएं दायर करने वाले कार्यकर्ता विनोद पाटिल ने पात्र समुदाय के सदस्यों को कुनबी प्रमाण पत्र देने संबंधी सरकारी आदेश को “पूरी तरह से बेकार” बताया। पाटिल ने दावा किया कि मुंबई में जरांगे के विरोध प्रदर्शन के बाद जारी किए गए सरकारी आदेश से समुदाय को कोई सार्थक लाभ नहीं होगा।
(एजेंसी इनपुट के साथ)