मतदाता सूची में गड़बड़ी (pic credit; social media)
Maharashtra Nikay Chunav: निकाय चुनावों से पहले महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों के मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोपों पर राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) ने साफ शब्दों में जवाब दिया है कि वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने, हटाने या बदलाव करने का अधिकार राज्य आयोग के पास नहीं है। यह अधिकार केवल केंद्रीय चुनाव आयोग (ECI) का है।
मंगलवार को महाविकास आघाड़ी (MVA) के नेताओं ने राज्य चुनाव आयुक्त दिनेश वाघमारे से मुलाकात कर मतदाता सूची में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया। इस बैठक में आयोग के सचिव सुरेश काकानी भी मौजूद थे। विपक्ष का आरोप था कि वोटर लिस्ट में कई नाम गलत हैं, कुछ हटा दिए गए हैं, तो कई जगह एक ही व्यक्ति के नाम दो बार दर्ज हैं।
इस पर चुनाव आयुक्त वाघमारे ने कहा कि “निकाय चुनावों के लिए विधानसभा की मतदाता सूची का ही उपयोग किया जाता है, जिसे केंद्रीय चुनाव आयोग तैयार करता है।” उन्होंने बताया कि इस बार 1 जुलाई 2025 को अधिसूचित विधानसभा क्षेत्रों की वोटर लिस्ट को ही आधार बनाया गया है, और वार्डवार सूची उसी के अनुसार तैयार की गई है।
मतदाता सूची विभाजित करते समय हुई तकनीकी गलतियों या नाम छूटने की शिकायतें दर्ज कराई जा सकती हैं। आयोग ने स्पष्ट किया कि राज्य स्तर पर लिस्ट में बदलाव करना संभव नहीं है।
बैठक के दौरान राजनीतिक दलों ने एक और अहम मुद्दा उठाया उम्मीदवारों के चुनावी खर्च की सीमा बढ़ाने की मांग। इस पर राज्य चुनाव आयुक्त ने भरोसा दिलाया कि इस मांग पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि “मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के मुख्य प्रचारकों की संख्या 20 से बढ़ाकर 40 करने और चुनावी खर्च की सीमा में वृद्धि पर उचित निर्णय जल्द लिया जाएगा।”
राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि बढ़ती महंगाई और प्रचार के नए तरीकों को देखते हुए उम्मीदवारों पर खर्च का दबाव पहले से ज्यादा है। ऐसे में अगर आयोग इस दिशा में कदम उठाता है तो प्रत्याशियों को बड़ी राहत मिलेगी।
फिलहाल मतदाता सूची विवाद पर राज्य आयोग ने खुद को ‘क्लीन चिट’ दे दी है। अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि चुनावी खर्च में कितनी बढ़ोतरी होती है और इसका असर आगामी निकाय चुनावों पर कैसा पड़ता है।