ईडी ने की छापेमारी (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: वसई-विरार क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माण के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपराध दर्ज किया है। इस मामले में वसई-विरार नगर निगम की सीमा के अंतर्गत 13 स्थानों पर छापेमारी की जा रही है। इस पूरे घटनाक्रम के चलते करीब 2,500 परिवार बेघर हो गए थे। यह अवैध निर्माण 2009 से जारी था और अब ईडी ने इसकी गहन जांच शुरू कर दी है।
मुंबई स्थित ईडी ने वसई-विरार क्षेत्र में चल रहे इस अवैध आवासीय और व्यावसायिक निर्माण के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। मीरा-भायंदर पुलिस कमिश्नरेट द्वारा दर्ज की गई विभिन्न एफआईआर के आधार पर ईडी ने यह मामला दर्ज किया है। जांच में यह सामने आया है कि लगभग 60 एकड़ क्षेत्र में 41 अवैध इमारतें बनाई गई थीं।
ये स्थान मूलतः सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और कचरा डंपिंग ग्राउंड के लिए आरक्षित थे, लेकिन आरोपियों ने साजिश के तहत वहां अवैध निर्माण कर डाला। इसके लिए बिल्डरों और स्थानीय दलालों ने फर्जी मंजूरी के दस्तावेज तैयार किए थे और आम नागरिकों का विश्वास जीतकर बड़ी संख्या में फ्लैट्स की बिक्री की थी। इससे गरीब और निर्दोष नागरिकों के साथ धोखाधड़ी हुई, ऐसी जानकारी अधिकारियों ने दी है।
ईडी की जांच के अनुसार 2009 से वसई-विरार क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हो रहे हैं। इस पर कठोर कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया है। इन 41 अवैध इमारतों को तोड़ दिया गया है। वसई-विरार नगर निगम ने यह कार्रवाई बॉम्बे हाईकोर्ट के जनहित याचिका क्रमांक 15853/2022 के आदेश के तहत की थी। इस तोड़फोड़ के कारण करीब 2,500 परिवार बेघर हो गए हैं। फिलहाल, नगर निगम सीमा के अंतर्गत 13 स्थानों पर ईडी की जांच जारी है।
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ईडी इस मामले में और सबूत जुटाने के लिए अभियान चला रही है। इसके तहत, विभिन्न योजनाओं के माध्यम से की गई धोखाधड़ी के मामलों की जानकारी एकत्र की जा रही है। साथ ही कुछ मामलों में जबरन संपत्तियां कब्जाने की शिकायतें भी मिली हैं, जिनकी जांच ईडी करने वाली है।
गौरतलब है कि नवंबर 2024 में नालासोपारा क्षेत्र में नगर निगम ने 41 अवैध इमारतों को ध्वस्त किया था। प्राथमिक जांच में यह सामने आया कि निवासियों को यह जानकारी ही नहीं थी कि उनकी इमारतें अवैध हैं। इस कारण 2,500 परिवार सड़कों पर आ गए। इस पूरे मामले की अब ईडी द्वारा गहन जांच की जा रही है।