आईआईटी बॉम्बे (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव में तुर्किये ने पाकिस्तान का साथ दिया। इसे लेकर भारत में रोष है। तुर्किये के कई सामानों का बहिकाष्कार किया जा रहा है। अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मुंबई ने तुर्किये के विश्वविद्यालयों के साथ सभी समझौतों को निलंबित कर दिया है।
संस्थान ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि ‘‘तुर्किये को लेकर मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए आईआईटी बॉम्बे तुर्किये के विश्वविद्यालयों के साथ अपने समझौतों को अगला नोटिस जारी किए जाने तक निलंबित करने की प्रक्रिया में है।”
आईआईटी मुंबई और कुछ तुर्किये संस्थानों के बीच संकाय विनिमय कार्यक्रम (फैकल्टी एक्सचेंज प्रोग्राम) को लेकर समझौता था। यह घटनाक्रम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान तुर्किये द्वारा पाकिस्तान को दिए गए समर्थन के मद्देनजर सामने आया है।
Due to the current geopolitical situation involving Turkey, IIT Bombay is processing suspension of its agreements with Turkish universities until further notice.
— IIT Bombay (@iitbombay) May 17, 2025
इससे पहले, आईआईटी रुड़की ने तुर्किये के इनोनू विश्वविद्यालय के साथ किया गया एक समझौता औपचारिक रूप से रद्द कर दिया था। आईआईटी रूड़की ने ‘एक्स’ पर लिखा था कि ‘‘संस्थान वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है जो इसकी शैक्षणिक प्राथमिकताओं को प्रतिबिंबित करता है और राष्ट्रीय हित को बनाए रखता है।”
बता दें कि इससे पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने भी तुर्किये से शैक्षिक संबंध खत्म कर दिए हैं। एएमयू के साथ अलीगढ़ के ताला व्यापरियों ने भी तुर्किये से अपना व्यापार खत्म करने का ऐलान किया है। वहीं निजी संस्थानों जैसे चंडीगढ़ विश्वविद्यालय ने भी तुर्किये और अजरबैजान के 23 विश्वविद्यालयों के साथ अपने अकादमिक सहयोग को समाप्त कर दिया है।
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गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर हवाई हमला करके उन्हें तबाह कर दिया। इससे भारत और पाकिस्तान में तनाव की स्थिति बन गई। पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी दिखाई दे रही थी, लेकिन तुर्किये और अजरबैजान ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया।
तुर्किये के पाकिस्तान को समर्थन करने के बाद भारत में तुर्किये के खिलाफ भावनाएं भड़क उठी। पहले व्यापारियों ने तुर्किये के अपने संबंध खत्म किए और कई सामानों के आयात पर रोक लगा दी। इसके बाद कई संस्थानों ने तुर्किये के सािा संबंध खत्म करने की पहल की।