तेजस्वी घोसालकर ने यूबीटी से दिया इस्तीफा (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र में जल्द ही स्थानीय निया चुनाव का बिगुल बजने वाला है। ऐसे महत्वपूर्ण समय में उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी दिनों-दिन कमजोर होती जा रही है। एक-एक कर शिवसेना यूबीटी के कार्यकर्ता नेता पार्टी को छोड़कर जा रहे है, जिससे पार्टी पर बडा असर दिख रहा है। अब शिवसेना यूबीटी से बृहन्मुंबई महानगरपालिका की पूर्व नगरसेविका तेजस्वी घोसालकर ने अपना इस्तीफा दे दिया है। तेजस्वी घोसालकर के इस्तीफे से पार्टी को बड़ा झटका लगा है।
बृहन्मुंबई महानगरपालिका की पूर्व नगरसेविका तेजस्वी घोसालकर ने मंगलवार 13 मई को शिवसेना यूबीटी पार्टी से इस्तीफा दे दिया। मिली जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि उन्होंने निजी कारणों के कारण इस्तीफा दिया है। हालांकि, सूत्रों की माने तो इसकी वजह स्थानीय स्तर पर पार्टी के कामकाम को लेकर नाराजगी बताई जा रही है।
तेजस्वी घोसालकर मुंबई उत्तर की दहिसर विधानसभा क्षेत्र में शिवसेना यूबीटी की महिला शाखा की प्रमुख थी। तेजस्वी घोसालकर के इस्तीफे की पुष्टि पार्टी के विभाग प्रमुख उदेश पाटेकर ने की। उन्होंने कहा कि तेजस्वी घोसालकर ने इस्तीफे का कोई साफ कारण नहीं बताया। हालांकि, पार्टी सूत्रों का कहना है कि वे पार्टी के रवैये से खुश नहीं थी।
तेजस्वी घोसालकर का राजनीति से गहरा नाता रहा है। वह पूर्व विधायक विनोद घोसालकर की बहू है और उनके पति अभिषेक घोसालकर बीएमसी के पूर्व नगरसेवक रह चुके हैं। इस साल की शुरुआत में उनके पति अभिषेक की एक दर्दनाक हादसे में मौत हो गई थी। अभिषेक को फेसबुक लाइव के दौरान स्थानीय निवासी मॉरिस नोरोन्हा ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना से तेजस्वी के परिवार और राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ पड़ी थी।
तेज घोसालकर परिवार और ठाकरे परिवार के बीच लंबे समय से गहरा राजनीतिक संबंध रहा है। तेजस्वी घोसालकर के पति अभिषेक घोसालकर के अंतिम संस्कार में उद्धव ठाकरे, उनके बेटे और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे और पत्नी रश्मि ठाकरे भी पहुंची थी। तेजस्वी को इस्तीफा न देने पर काफी मनाया भी गया था।
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पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि तेजस्वी के इस्तीफे के बाद ठाकरे परिवार ने उन्हें मनाने की कोशिश की और अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह भी किया। लेकिन उन्होंने अपना फैसला नहीं बदला। अब यूबीटी को ये चिंता सतायी जा रही है कि कहीं बाकि कार्यकर्ताओं की तरह तेजस्वी घोसालकर भी सत्तारूढ़ पार्टी के साथ शामिल न हो जाए। क्योंकि स्थानीय निकाय चुनाव में तेजस्वी का सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल होना पार्टी के लिए बहुत भारी पड़ सकता है।