Dhananjay Munde:बीड की अदालत (सोर्सः सोशल मीडिया)
Parli Vaijnath Court: महाराष्ट्र के बीड जिले की एक अदालत ने पूर्व मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता धनंजय मुंडे को बड़ी राहत दी है। परली वैजनाथ की अदालत ने बुधवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें करुणा मुंडे नामक महिला ने खुद को मुंडे की पहली पत्नी बताते हुए 2024 विधानसभा चुनाव के नामांकन में महत्वपूर्ण जानकारी छिपाने का आरोप लगाया था। अदालत ने माना कि धनंजय मुंडे ने चुनाव जीतने के उद्देश्य से कोई तथ्य नहीं छिपाया।
न्यायिक मजिस्ट्रेट दीपक बोर्डे ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि शिकायतकर्ता करुणा मुंडे आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला स्थापित करने में विफल रहीं। अदालत ने कहा कि जिन तथ्यों को कथित रूप से छिपाया गया, उनका उद्देश्य चुनाव जीतना नहीं था और न ही उससे चुनावी नतीजों पर कोई प्रभाव पड़ा। अदालत ने कहा, “आरोपी ने चुनाव में जीत के इरादे से कोई जानकारी नहीं छिपाई, इसलिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125-ए के तहत कोई अपराध नहीं बनता।”
सुनवाई के दौरान अदालत ने शिकायतकर्ता के दावों में कई विसंगतियां पाईं। शिकायत में शादी का साल 1996 बताया गया था, जबकि सत्यापित बयान में 1 सितंबर 1998 की तारीख दर्ज थी। इसके अलावा, करुणा मुंडे विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र या ऐसा कोई वैधानिक दस्तावेज पेश नहीं कर सकीं, जिससे यह साबित हो सके कि वह कानूनी रूप से परली विधायक की पत्नी हैं।
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दूसरी ओर, मुंडे के वकील बी. कवडे ने दलील दी कि शिकायतकर्ता को मुंडे के पहले से विवाहित होने की पूरी जानकारी थी। उन्होंने कहा कि दोनों के बीच आपसी सहमति से संबंध थे और नवंबर 2020 में वे अलग हो गए थे। मुंडे ने केवल बच्चों से जुड़े दस्तावेजों में अपने नाम के उपयोग की अनुमति दी थी। सभी दस्तावेजों और दलीलों पर विचार करने के बाद अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि मामले में आगे कार्यवाही का कोई औचित्य नहीं है और याचिका को खारिज कर दिया।