कूपर अस्पताल (pic credit; social media)
Mumbai Cooper Hospital: मुंबई के सबसे व्यस्त सरकारी अस्पतालों में से एक कूपर अस्पताल में मंगलवार को ठेका सफाई कर्मियों ने हड़ताल कर दी। वजह – पिछले दो महीने से वेतन न मिलना। सफाई कर्मियों का कहना है कि बिना वेतन परिवार का भरण-पोषण असंभव हो गया है और मजबूरी में उन्हें काम छोड़कर विरोध करना पड़ा।
कूपर अस्पताल की सफाई व्यवस्था और मरीजों की देखभाल पर हड़ताल का सीधा असर दिखाई दिया। मनपा द्वारा संचालित 636 बेड वाले इस अस्पताल की ओपीडी में रोजाना करीब 2000 से ज्यादा मरीज इलाज कराने आते हैं, जबकि 100 से 150 मरीज रोजाना भर्ती होते हैं। हड़ताल के चलते सफाई व्यवस्था बिगड़ गई, वार्डों में गंदगी फैलने लगी और मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ी।
हड़ताल के कारण कई जरूरी सर्जरी को टालना पड़ा। गंभीर मरीजों के लिए डायपर बदलना, बिस्तर साफ करना और कचरा उठाने जैसे काम रुक गए। जिन मरीजों के पास रिश्तेदार मौजूद नहीं थे, उनकी हालत और बिगड़ गई। अस्पताल प्रशासन के पास फिलहाल कोई ठोस इंतज़ाम नहीं है और स्टाफ पर दबाव बढ़ गया है।
कूपर अस्पताल के सफाई कर्मियों का आरोप है कि मनपा द्वारा चयनित KEFM कंपनी ने उनका दो महीने का वेतन रोक रखा है। कर्मचारियों का कहना है कि जब भी वेतन की मांग की जाती है, कंपनी टालमटोल करती है। उनका कहना है कि वे रोजाना मरीजों और अस्पताल की सफाई का बोझ उठाते हैं, लेकिन उनके परिवार भूखे सोने पर मजबूर हैं।
हड़ताल की वजह से आपातकालीन सेवाएं भी प्रभावित हो गईं। कई मरीजों को समय पर मदद नहीं मिल पाई। अस्पताल के डॉक्टर और नर्सें भी परेशान हैं क्योंकि साफ-सफाई न होने से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है।
जब कंपनी के प्रतिनिधियों से बात करने की कोशिश की गई तो उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया। दूसरी तरफ मनपा अधिकारी भी फिलहाल स्थिति पर चुप्पी साधे हुए हैं। सवाल उठता है कि आखिर मरीजों की जिंदगी से जुड़े इतने बड़े मुद्दे पर लापरवाही क्यों की जा रही है।
मुंबईकरों के लिए ये चिंता की बात है कि जहां अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थान पर सफाई और देखभाल सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, वहीं कर्मचारियों को वेतन न देकर हड़ताल की नौबत ला दी गई।