बंबई उच्च न्यायालय (सोर्स: सोशल मीडिया)
Maharashtra Local Body Elections: महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनावों से संबंधित याचिकाओं पर नागपुर, औरंगाबाद और कोल्हापुर पीठों के समक्ष 2 दिसंबर को हुई सुनवाई की जानकारी न देने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) पर नाराजगी जताई।
नियमानुसार, एक ही विषय से संबंधित सभी याचिकाओं को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष सामूहिक सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाता है, ताकि अलग-अलग आदेश जारी न हों। लेकिन 2 दिसंबर को पहले नागपुर, औरंगाबाद और कोल्हापुर खंडपीठों ने राज्य की 264 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के चुनाव की मतगणना और परिणामों पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
इसी दिन बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष भी आरक्षण, प्रभाग रचना और मतदाता सूची से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी। लेकिन राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग के वकीलों ने अन्य पीठों के निर्णय के बारे में मुख्य न्यायाधीश की पीठ को कोई जानकारी नहीं दी।
शुक्रवार को बारामती के चुनावों से संबंधित याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने मुख्य न्यायाधीश ने नाराजगी व्यक्त की। हुआ ऐसा है कि बारामती सत्र न्यायालय के आदेशों को चुनौती देने वाली तीन याचिकाएं दायर की गई हैं। सत्र न्यायालय ने बारामती निर्वाचन अधिकारियों को 17 नवंबर को दोपहर 3 बजे उम्मीदवारों के नामांकन स्वीकार करने के आदेश दिए थे।
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याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि वे निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में उपस्थित थे, लेकिन अधिक भीड़ के कारण समय पर आवेदन नहीं भर सके। अधिकारियों ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। सत्र न्यायालय के आदेशों के अनुसार, आयोग ने 1 दिसंबर को बारामती सहित राज्य की 24 स्थानीय निकायों की चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया था। इस मसले पर शुक्रवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।
न्यायालय ने सरकारी वकील और आयोग के वकीलों से कहा कि आप 2 दिसंबर की सुनवाई में उपस्थित थे, लेकिन आपने हमें इसकी जानकारी नहीं दी। अलग-अलग पीठें अलग-अलग आदेश दे रही हैं। आपको जानकारी देनी चाहिए थी। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि चुनावों से संबंधित सभी याचिकाओं पर उनकी अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई होगी और याचिकाओं पर अगली सुनवाई 9 दिसंबर के लिए निर्धारित की।