राज ठाकरे,उद्धव ठाकरे (Image- Social Media)
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में ठाकरे ब्रदर्स के एक साथ मंच साझा करने के बाद गठबंधन को लेकर लंबे समय से इंतजार किया जा रहा है। विजयादशमी के मौके पर होने वाली रैली को काफी अहम माना जा रहा है। इस रैली में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे दोनों मौजूद रहेंगे। ऐसे में यूबीटी और मनसे के बीच गठबंधन को लेकर बड़ा संकेत मिल सकता है। ठाकरे ब्रदर्स के संभावित गठबंधन पर बीजेपी और एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना की नजरें टिकी हुई हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर ठाकरे ब्रदर्स एक साथ आते हैं, तो मुंबई समेत कुछ अन्य नगर निगमों में समीकरण बदल सकते हैं।
इस बीच एक बड़ा अपडेट सामने आया है, जिसमें दावा किया गया है कि दोनों भाइयों की पार्टियों के बीच 60:40 का फॉर्मूला बन सकता है। बीएमसी की 227 सीटों में से ठाकरे गुट 147 और मनसे 80 पर चुनाव लड़ सकती है। एकनाथ शिंदे कैंप से बागियों की वापसी पर उद्धव ठाकरे ने एक बड़ी शर्त रखी है। जानिए क्या है मुंबई के लिए उनका प्लान?
यह दावा सूत्रों के हवाले से ऐसे समय पर सामने आया है जब शिवसेना (यूबीटी) और मनसे के बीच गठबंधन की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। सूत्रों की मानें तो उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच गठबंधन को लेकर सहमति बनती दिख रही है। कुछ सूत्रों का यह भी कहना है कि गठबंधन की घोषणा दिवाली के आसपास हो सकती है। दोनों दलों के नेता 60:40 के फॉर्मूले पर मंथन कर रहे हैं। पार्टियां अपनी-अपनी ताकत के आधार पर सीटों का बंटवारा कर सकती हैं।
हालांकि, दोनों पार्टियों के लिए परेशानी उन इलाकों में आ रही है जहां दोनों का मजबूत जनाधार है। इनमें दादर-माहिम, लालबाग, परेल, शिवड़ी, विक्रोली, डिंडोशी, घाटकोपर पश्चिम, दहिसर और भांडुप जैसे इलाके शामिल हैं। इन क्षेत्रों में 50-50 का फॉर्मूला लागू हो सकता है।राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे करीब दो दशक बाद एक साथ मंच पर दिखाई देंगे, जिससे महाराष्ट्र की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ आ सकता है।
गौर करने वाली बात यह है कि कुछ दिन पहले संजय राउत ने कहा था कि शिवसेना यूबीटी और मनसे मुंबई के बाहर भी मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। मुस्लिम बहुल इलाकों में भी सीटों के बंटवारे के लिए यही फॉर्मूला लागू किया जा सकता है। राज ठाकरे स्पष्ट कर चुके हैं कि उनकी पार्टी कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेगी। यूबीटी और मनसे का प्रभाव मुंबई, ठाणे, नाशिक और कल्याण-डोंबिवली जैसे क्षेत्रों में है। अब देखना यह होगा कि ठाकरे ब्रदर्स महायुति से सीधा मुकाबला करते हैं या महाविकास आघाड़ी को भी साथ में रखते हैं।
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कांग्रेस ने साफ किया है कि उसे राज ठाकरे से कोई आपत्ति नहीं है। मुंबई के बीएमसी चुनाव उद्धव ठाकरे के लिए बेहद अहम माने जा रहे हैं। बीएमसी में ताकत घटने पर उनके लिए आगे की राह मुश्किल हो सकती है। ऐसे में उद्धव ठाकरे इन चुनावों को लेकर पूरी रणनीति में जुटे हुए हैं। संजय राउत, अनिल परब और अनिल देसाई जैसे नेता योजना तैयार कर रहे हैं।