
बृहन्मुंबई महानगर पालिका (सोर्स: सोशल मीडिया)
BMC Election 2026: बीएमसी चुनाव का समीकरण बनाने की रणनीति तेज हो गई, मराठी बनाम अमराठी के मसले के साथ ही मुंबई के मुस्लिम महापौर को लेकर भी सियासत गरमाई हुई है।
भाजपा ने दावा किया है कि किसी खान या पठान को मुंबई का महापौर नहीं बनने दिया जाएगा, लेकिन यह मुद्दा भाजपा के लिए गले की फांस बन गया है। अधिकांश मुस्लिम मुस्लि वोटरों में इसे लेकर बीजेपी के प्रति नाराजगी है।
कांग्रेस की स्थिति कमजोर है, ऐसे में बीजेपी को रोकने के लिए वे उद्धव और राज ठाकरे को मजबूत विकल्प मानते हुए, उनकी ओर रुख कर सकते हैं। भाजपा नेताओं को भी लग रहा है कि खान महापौर के मुद्दे को तूल देना उचित नहीं है।
मुस्लिम वर्ग में भी पार्टी के समर्थक हैं। उनकी बेरुखी पार्टी को कुछ सीटों पर नुकसान पहुंचा सकती है। ठाकरे बंधुओं ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है। मराठी-मुस्लिम फामूलें पर जोर दिया जा रहा है। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटरों ने उद्धव को वोट दिया था।
मुंबई की 227 सीटों में से लगभग 47 सीटें मुस्लिम बाहुल्य मानी जाती हैं। मुंबई की 30 सीटें ऐसी हैं, जहां उनका वोट निर्णायक माना जाता है। महानगर में करीब 22 लाख मुस्लिम मतदाता हैं। इसी तरह मराठी भाषियों का लगभग 138 सीटों पर प्रभुत्व माना जाता है। मनपा चुनाव के महासंग्राम में मुस्लिम वोट भी केंद्र बिंदु होगा। मुस्लिम बोटरों को लुभाने के लिए कोई दल खुलेआम तो कोई पर्दे के पीछे रणनीति बना रहा है।
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कांग्रेस ने अपने दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। मुस्लिम दलित- हिंदी भाषियों पर उसे भरोसा है। हालांकि पार्टी की कमजोर स्थिति को लेकर मुस्लिम वोटरों में असमंजस है, उन्हें लग रहा है कि यदि वोट विभाजित तो बीजेपी और शिंदे गुट को फायदा हो सकता है। सूत्रों की माने तो उन्हें ढाकरे बंधुओं का गठबंधन मजबूत स्थिति में दिख रहा है। उन्हें उद्धव ठाकरे से उम्मीद नजर आ रही है, मुस्लिम वर्ग की प्राथमिकता अब भाजपा को रोकना बन चुकी है।






